बिहार की सियासत में जहां चुनावी बिसात बिछनी शुरू हो गई है, वहीं एनडीए गठबंधन के भीतर ‘कौन करेगा नेतृत्व’ की चर्चा फिर से तेज हो गई है. जेडीयू लंबे समय से राज्य में बड़े भाई की भूमिका में रही है, लेकिन इस बार सीट बंटवारे से पहले ही नेतृत्व को लेकर अंदरूनी माथापच्ची शुरू हो चुकी है. गठबंधन के सभी घटक दल अपनी-अपनी पकड़ और प्रभाव के आधार पर सम्मानजनक हिस्सेदारी की मांग कर रहे हैं, जिससे साफ है कि सीट शेयरिंग सिर्फ गणित नहीं, बल्कि रणनीति और प्रतिष्ठा की भी लड़ाई बन चुकी है.
बिहार में सीट बंटवारे को लेकर जो खबर सामने आ रही है उसे देखा जाए तो एनडीए में फिलहाल सबसे ज्यादा फायदा चिराग पासवान को मिलने जा रहा है. चिराग के कोटे में 25 से 30 तक सीटें जा सकती हैं.
बीजेपी का मानना है कि छोटे सहयोगी जैसे लोजपा(आर), हम, आरएलएसपी की भमिका बढ़ी है. खासकर चिराग पासवान जैसे नेता बार-बार यह दिखाने की कोशिश कर रहे हैं कि वे केवल दल के नेता नहीं, बल्कि गठबंधन के भीतर जरूरी चेहरा भी हैं. वहीं जीतन राम मांझी भी लगातार बयान दे रहे हैं. हाल ही में उन्होने शराब बंदी पर बयान देकर नीतीश को मुश्किल में डाला था.
हालांकि अभी एनडीए में सीट शेयरिंग का कोई फार्मूला निश्चित नहीं हुआ है. लेकिन बैठकों का क्रम लगातार जारी है. लेकिन जिस तरह से बाकी सहयोगी दवाब बना रहे हैं और मुख्यमंत्री के चेहरे पर अभी तक कोई स्पष्ट बयान नहीं दिया गया है. उसे देखते हुए लगता है कि इस बार जेडीयू ‘बड़े भाई’ की भूमिका में शायद ही नजर आए.