जस्टिस आलोक अराधे और जस्टिस विपुल पंचोली सुप्रीम कोर्ट के नये जज नियुक्त हो गये हैं. इनकी नियुक्ति को लेकर बुधवार को कानून मंत्रालय ने नोटिफिकेशन जारी कर दिया है. केंद्रीय कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने भी ‘एक्स’ पर पोस्ट करते हुए दोनों न्यायाधीशों की नियुक्ति की जानकारी दी है. दोनों न्यायाधीशों के शपथ-ग्रहण के बाद, उच्चतम न्यायालय चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया सहित 34 न्यायाधीशों की अपनी पूर्ण स्वीकृत क्षमता के साथ कार्य करेगा.
जस्टिस बी.वी. नागरत्ना ने उठाई थी नियुक्ति पर आपत्ति ?
25 अगस्त 2025 को उच्चतम न्यायालय के कॉलेजियम ने दोनों न्यायाधीशों की पदोन्नति की सिफारिश की थी. हालांकि ऐसी खबरें आईं कि कॉलेजियम की बैठक में जस्टिस बी.वी. नागरत्ना ने जस्टिस विपुल पंचोली को पदोन्नत करने की कॉलेजियम की सिफारिश पर असहमति जताई थी. जस्टिस बी.वी. नागरत्ना ने कथित तौर पर ऑल इंडिया सीनियॉरिटी लिस्ट में जस्टिस विपुल पंचोली की अपेक्षाकृत कम रैंक का हवाला देते हुए 2023 में गुजरात हाईकोर्ट से पटना हाईकोर्ट में उनके तबादले के कारणों पर भी चिंता जताई थी. साथ ही यह बात भी उठाई थी कि गुजरात हाईकोर्ट के दो जज पहले से ही सुप्रीम कोर्ट में हैं. उनका मानना था कि इस तरह की नियुक्ति न्यायपालिका में संतुलन और निष्पक्षता के लिए सही संकेत नहीं देती.
हालांकि सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम के आधिकारिक बयान में जस्टिस नागरत्ना की असहमति दर्ज नहीं की गई और न ही इस निर्णय के लिए कोई कारण बताया गया.
कौन हैं जस्टिस विपुल पंचोली ?
1968 में अहमदाबाद, गुजरात में जन्में जस्टिस विपुल पंचोली ने सितंबर 1991 में वकालत शुरू की और गुजरात हाई कोर्ट में एडवोकेट के रूप में प्रैक्टिस की. बाद में वे गुजरात हाई कोर्ट में सहायक सरकारी वकील और अतिरिक्त लोक अभियोजक बने और करीब सात साल तक इस पद पर कार्यरत रहे. 24 जुलाई 2023 को उन्होंने पटना हाई कोर्ट के जज के रूप में शपथ ली और 21 जुलाई 2025 को वहीं के मुख्य न्यायाधीश नियुक्त हुए.
जस्टिस विपुल पंचोली सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश बनने के बाद वरिष्ठता के अनुसार जस्टिस जॉयमाल्या बागची के रिटायरमेंट के बाद , अक्टूबर, 2031 से मई, 2033 तक चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया के रूप में कार्यभार संभालेंगे.
कौन हैं जस्टिस आलोक अराधे ?
1964 को जन्में जस्टिस आलोक अराधे ने बीएससी और एलएलबी की पढ़ाई पूरी करने के बाद 1988 में मध्य प्रदेश हाई कोर्ट में वकालत शुरू की थी. वे सिविल, संवैधानिक, मध्यस्थता और कंपनी कानून से जुड़े मामलों के विशेषज्ञ माने जाते हैं. लंबे अनुभव और विशेषज्ञता के आधार पर 2007 में उन्हें वरिष्ठ अधिवक्ता नियुक्त किया गया था. बॉम्बे हाई कोर्ट से पहले वे तेलंगाना हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश भी रह चुके हैं. इसके अलावा वे कर्नाटक हाई कोर्ट, जम्मू-कश्मीर हाई कोर्ट और मध्य प्रदेश हाई कोर्ट में भी जस्टिस का भी पदभार संभाल चुके हैं.