नेपाल की राजधानी काठमांडू सोमवार को उस समय हिंसा और अफरा-तफरी में डूब गई जब बड़ी संख्या में युवा सोशल मीडिया बैन और भ्रष्टाचार के खिलाफ सड़कों पर उतर आए. प्रदर्शनकारियों का एक समूह संसद भवन तक पहुंच गया, जिसके बाद हालात काबू से बाहर हो गए. पुलिस ने भीड़ को हटाने के लिए हवाई फायरिंग की, जिसमें 9 प्रदर्शनकारियों की मौत हो गई. सिविल अस्पताल के निदेशक मोहन चंद्र रेमी ने मौत की पुष्टि की और बताया कि कई घायल गंभीर हालत में भर्ती हैं.
स्थिति को नियंत्रण में लाने के लिए जिला प्रशासन ने कर्फ्यू लागू कर दिया है. शुरुआत में यह कदम बानेश्वर क्षेत्र तक सीमित था, लेकिन अब इसे राष्ट्रपति भवन, प्रधानमंत्री आवास, सिंह दरबार और उपराष्ट्रपति के निवास जैसे संवेदनशील इलाकों तक बढ़ा दिया गया है. मुख्य जिला अधिकारी छाबिलाल रिजाल ने बताया कि कर्फ्यू दोपहर 12:30 बजे से रात 10 बजे तक लागू रहेगा और इस दौरान किसी भी तरह की आवाजाही या प्रदर्शन पर रोक होगी.
गुस्से की जड़ नेपाल सरकार का हालिया फैसला है, जिसके तहत फेसबुक, यूट्यूब, एक्स और इंस्टाग्राम समेत 26 सोशल मीडिया और ऑनलाइन प्लेटफॉर्म्स को बिना रजिस्ट्रेशन बंद कर दिया गया. इस प्रतिबंध ने लाखों यूज़र्स को प्रभावित किया है और युवाओं में आक्रोश की लहर फैला दी है.
जनरेशन-Z ने इस आंदोलन की अगुवाई की है. युवा झंडा लहराते और राष्ट्रगान गाते हुए सड़कों पर उतरे. 24 वर्षीय छात्र युजन राजभंडारी ने कहा, “यह सिर्फ सोशल मीडिया का मामला नहीं है, हम बदलाव चाहते हैं.” वहीं, एक 20 वर्षीय छात्रा ने साफ शब्दों में कहा, “पहली पीढ़ियों ने जो सहा, हम नहीं सहेंगे। अब बदलाव ज़रूरी है.”