समाजवादी पार्टी (Samajwadi Party) के कद्दावर नेता और पूर्व कैबिनेट मंत्री मोहम्मद आज़म खां को इलाहाबाद हाईकोर्ट से बड़ी राहत मिली है. रामपुर के क्वालिटी बार अवैध कब्जा मामले में हाईकोर्ट ने उनकी जमानत याचिका मंजूर कर ली है. इस तरह, लगभग सभी मामलों में उन्हें राहत मिल चुकी है और उनके जेल से बाहर आने की संभावना तेज हो गई है.
लगातार तीसरी राहत से आज़म खां के समर्थकों में खुशी
आजम खां को एक हफ्ते में तीसरी बार अदालत से राहत मिली है.
- 10 सितंबर को हाईकोर्ट ने डूंगरपुर मामले में जमानत दी थी.
- 16 सितंबर को रामपुर की अदालत ने अवमानना मामले में बरी कर दिया था.
- और अब क्वालिटी बार कब्जा केस में जमानत मंजूर हो गई है.
उनकी ओर से अधिवक्ता इमरान उल्लाह ने दलील दी कि यह मुकदमा राजनीतिक रंजिश का नतीजा है, जबकि अभियोजन पक्ष ने आज़म के आपराधिक इतिहास और मंत्री रहते हुए पद के दुरुपयोग की बात कही.
क्वालिटी बार केस क्या है?
यह मामला 2019 में दर्ज हुआ था, जब आरोप लगा कि रामपुर के सिविल लाइंस थाना क्षेत्र में स्थित क्वालिटी बार पर आज़म खां और उनके परिवार ने अवैध कब्जा किया. राजस्व निरीक्षक अनंगराज सिंह की तहरीर पर एफआईआर दर्ज की गई थी. पहले इस मामले में उनकी पत्नी तजीन फातिमा, बेटे अब्दुल्ला आज़म, और चेयरमैन सैयद जफर अली जाफरी को आरोपी बनाया गया था. बाद में विवेचना में खुद आज़म खां का नाम भी जोड़ दिया गया.
कोर्ट की अवमानना मामले में भी राहत
मुरादाबाद की एमपी-एमएलए कोर्ट ने 2020 में दर्ज एक अवमानना मामले में आज़म खां को बरी कर दिया है. यह केस रामपुर के छजलैट थाना क्षेत्र का था, जहां कोर्ट की तारीखों पर अनुपस्थित रहने पर उनके खिलाफ मुकदमा दर्ज हुआ था. कोर्ट ने सबूतों और दलीलों की जांच के बाद कहा कि अनुपस्थिति जानबूझकर नहीं थी.
हालांकि, छजलैट रोड जाम केस में आज़म और उनके बेटे अब्दुल्ला आज़म को दो साल की सजा मिली हुई है. इस सजा के चलते अब्दुल्ला आज़म की विधायकी भी रद्द हो चुकी है. दोनों ने इसके खिलाफ इलाहाबाद हाईकोर्ट में अपील की हुई है.
राजनीति में असर तय
लगातार मिल रही जमानत और राहतों के बाद माना जा रहा है कि आज़म खां जल्द ही जेल से बाहर आ जाएंगे. उनकी रिहाई के बाद रामपुर और पश्चिमी उत्तर प्रदेश की राजनीति में बड़ा बदलाव देखने को मिल सकता है. सपा समर्थकों में इसे लेकर उत्साह है और विपक्षी दलों की निगाहें भी इस फैसले के बाद अब आगे की राजनीति पर टिकी हुई हैं.