असम में होने वाले आगामी विधानसभा चुनाव को लेकर सियासत तेज हो गई है. एक तरफ सीएम हिमंता विस्वा सरमा और कांग्रेस नेता गौरव गोगोई के बीच बयानबाजी हो रही है तो वहीं मोरान और कोच राजबोंगशी समुदाय के जबरदस्त प्रदर्शन ने सरकार की चिंताएं बढ़ा दी हैं. 13 सितंबर को प्रधानमंत्री मोदी का असम दौरा भी प्रस्तावित है, लेकिन उससे पहले तिनसुकिया में हुए आंदोलन ने सरकार पर दबाव और बढ़ा दिया है.
15 सितंबर से आर्थिक नाकेबंदी की दी चेतावनी
असम के तिनसुकिया जिले में बुधवार शाम माहौल तब गर्मा गया, जब असम के मोरान और कोच राजबोंगशी समुदायों के करीब 20,000 लोगों ने दोनों समुदायों को अनुसूचित जनजाति (एसटी) का दर्जा देने की मांग उठाते हुए सड़कों पर जुलूस निकाले. दरअसल दोनों समुदाय काफी समय से सरकार से एसटी दर्जा देने की मांगे उठा रहे थे. पर इस दिशा में अभी तक कोई सकारात्मक कदम नहीं उठाया गया है, जिसके बाद अब दोनों समुदायों का गुस्सा भड़क उठा है.
‘सभी सरकारों ने किया हमारे साथ विश्वासघात’
यह आंदोलन ऑल मोरन स्टूडेंट्स यूनियन (एएमएसयू) के नेतृत्व में शुरू हुआ, जो तलाप, काकोपाथर और मार्गेरिटा जैसे इलाकों में पिछले कई दिनों से हो रहे विरोध प्रदर्शनों के बाद, तिनसुकिया में एक विशाल रैली के रूप में सामने आया.
बोरगुरी औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थान के खेल मैदान से शुरू हुए इस जुलूस में भारी संख्या में पुरुषों और महिलाओं ने हिस्सा लिया. पूरे शहर में भारी सुरक्षा इंतज़ाम के बीच प्रदर्शनकारियों की मांगे तिनसुकिया की सड़कों पर गूंज उठीं.
एएमएसयू अध्यक्ष पोलिन्द्र बोरा ने लोगों को संबोधित करते हुए कहा कि ‘भाजपा ने 2014 में वादा किया था कि सत्ता में आने के 100 दिनों के भीतर मोरान समेत छह समुदायों को एसटी का दर्जा दिया जाएगा, लेकिन दस साल बाद भी यह अधूरा है. यह सरकार हमारे साथ विश्वासघात कर रही है. अगर 2026 चुनाव से पहले हमारी मांगें पूरी नहीं हुईं तो आंदोलन और तेज़ होगा.’
रैली के बाद तिनसुकिया पुलिस स्टेशन चारियाली में एक सभा भी हुई, जहां छात्र नेताओं ने समुदाय से एकजुट होकर संघर्ष जारी रखने की अपील की है. प्रदर्शनकारियों ने साफ चेतावनी देते हुए यह भी कहा कि यदि सरकार 72 घंटे के भीतर उनकी मांगों पर कोई फैसला नहीं करती है, तो वे 15 सितंबर से आर्थिक नाकेबंदी शुरू करेंगे.