महाराष्ट्र की राजनीति में इन दिनों मेघा इंजीनियरिंग पर लगाए गए 94 करोड़ रुपये के जुर्माने में भारी छूट का मामला सुर्खियों में है. इस मुद्दे पर राज्य के राजस्व मंत्री चंद्रशेखर बावनकुले और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) के विधायक रोहित पवार के बीच जमकर बयानबाज़ी देखने को मिल रही है.
रोहित पवार ने आरोप लगाया था कि मेघा इंजीनियरिंग पर अवैध उत्खनन के चलते लगाए गए 94.68 करोड़ रुपये के जुर्माने को घटाकर सिर्फ 17 लाख रुपये कर दिया गया और कंपनी के ज़ब्त उपकरण भी वापस कर दिए गए. पवार का कहना है कि जब आम जनता और किसान मामूली मामलों में भारी-भरकम जुर्माने से नहीं बच पाते, तो मेघा इंजीनियरिंग को इतनी राहत किस आधार पर दी गई? क्या यह सरकार का पक्षपात है या चुनावी बॉन्ड का कर्ज़ चुकाने का मामला?
सबूत दिखाने की चुनौती और जवाब
राजस्व मंत्री चंद्रशेखर बावनकुले ने इस पर पलटवार करते हुए पवार को चुनौती दी थी कि अगर वे आरोप साबित नहीं कर सकते, तो उन्हें राजनीति से संन्यास ले लेना चाहिए. इसके जवाब में रोहित पवार ने सबूत पेश करते हुए कहा कि वह बिना प्रमाण कभी बयान नहीं देते. उन्होंने बावनकुले को याद दिलाया कि खुद विधानसभा में 11 जुलाई 2025 को विधायक बबनराव लोणीकर के सवाल पर मंत्री ने इसका जवाब दिया था.
यह मामला अब केवल जुर्माने की रियायत का नहीं, बल्कि महाराष्ट्र की राजनीति में जवाबदेही और पारदर्शिता का बड़ा सवाल बन गया है.