राजस्थान हाई कोर्ट ने यौन शोषण के मामले में उम्रकैद की सजा काट रहे आसाराम को एक और बड़ा झटका दिया है. अदालत ने उनकी अंतरिम जमानत अवधि को आगे बढ़ाने से इनकार कर दिया है. साथ ही 30 अगस्त तक आसाराम को जोधपुर सेंट्रल जेल में सरेंडर करने का आदेश दिया है. इस मामले में अहमदाबाद के सिविल हॉस्पिटल की मेडिकल रिपोर्ट को आधार बनाते हुए अदालत ने कहा कि आसाराम की सेहत अभी इस स्थिति में नहीं है कि उन्हें जेल के बाहर रखने की जरूरत पड़े.
यह फैसला हाई कोर्ट की दो सदस्यीय पीठ जस्टिस दिनेश मेहता और जस्टिस विनीत कुमार माथुर ने सुनाया. अदालत ने यह भी कहा कि यदि आने वाले समय में उनकी तबीयत गंभीर रूप से बिगड़ती है, तो वे कानून के तहत दोबारा जमानत के लिए आवेदन कर सकते हैं. लेकिन फिलहाल ऐसी कोई वजह नजर नहीं आती जिससे उन्हें राहत दी जाए.
बता दें कि आसाराम पर 2013 में एक नाबालिग लड़की के यौन उत्पीड़न का आरोप लगा था. इस मामले में उन्हें गिरफ्तार किया गया था और 2018 में कोर्ट ने उन्हें दोषी ठहराकर उम्रकैद की सजा सुनाई थी. इसके बाद से वह जोधपुर सेंट्रल जेल में बंद हैं. लेकिन स्वास्थ्य कारणों से वो जमानत पर बाहर आता रहता है.
कोर्ट ने नहीं सुनी दलील
आसाराम की ओर से उनके वकील ने अदालत में स्वास्थ्य संबंधी आधार पर जमानत अवधि बढ़ाने की गुहार लगाई थी. लेकिन सरकारी अस्पताल के तीन विशेषज्ञ डॉक्टरों द्वारा दी गई मेडिकल रिपोर्ट में ऐसा कुछ नहीं पाया गया जिससे यह साबित हो कि उनकी हालत जेल में रहने के लायक नहीं है. कोर्ट ने इन्हीं रिपोर्ट्स के आधार पर यह फैसला सुनाया और याचिका खारिज कर दी. यह फैसला आसाराम के लिए बड़ा झटका माना जा रहा है, जो पहले से ही यौन उत्पीड़न के गंभीर मामले में उम्रकैद की सजा काट रहे हैं.