बाबा रामदेव के सहयोगी और पतंजलि आयुर्वेद के को-फाउंडर बालकृष्ण एक बार फिर विवादों में घिर गये हैं. एक मीडिया रिपोर्ट ने बड़ा खुलासा करते हुए, उत्तराखंड पर्यटन विभाग के टूरिज्म प्रोजेक्ट की टेंडर प्रक्रिया में बालकृष्ण की कंपनी द्वारा की गई धोखाधड़ी की बात सामने लाई है.
उत्तराखंड के मसूरी स्थित जॉर्ज एवरेस्ट एस्टेट को एडवेंचर टूरिज्म हब बनाने के लिए दिसंबर 2022 में उत्तराखंड पर्यटन विभाग ने टेंडर जारी किया था. इस टेंडर में कुल तीन कंपनियों ने बोली लगाई, लेकिन जांच में चौंकाने वाला तथ्य सामने आया कि तीनों कंपनियों के मुख्य शेयरहोल्डर आचार्य बालकृष्ण ही थे.
मीडिया रिपोर्ट में हुआ खुलासा
इंडियन एक्प्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, बालकृष्ण की दो कंपनियों प्रकृति ऑर्गेनिक्स इंडिया प्राइवेट लिमिटेड और भरुआ एग्री साइंस प्राइवेट लिमिटेड में उनकी हिस्सेदारी 99% से ज्यादा थी. तीसरी कंपनी राजस एयरोस्पोर्ट्स एंड एडवेंचर, जिसे यह टेंडर मिला था, उसमें बोली के समय उनकी हिस्सेदारी 25% थी, जो जुलाई 2023 यानी टेंडर मिलने के बाद बढ़कर 69% से ऊपर पहुंच गई.
टेंडर में विजेता कंपनी को 142 एकड़ जमीन, लकड़ी के हॉल, कैफे, दो म्यूजियम, ऑब्जर्वेटरी, पार्किंग और हेलिपैड जैसी सुविधाएं सिर्फ 1 करोड़ रुपये वार्षिक शुल्क पर मिलनी थीं. ऐसे में यह सवाल खड़ा हुआ कि जब सभी बोलीदाता एक ही उद्योगपति से जुड़े थे, तो क्या प्रक्रिया वास्तव में निष्पक्ष रही?
पर्यटन विभाग ने किया आरोपों से इनकार
उत्तराखंड पर्यटन विभाग ने आरोपों से इनकार करते हुए कहा है कि टेंडर की प्रक्रिया पूरी तरह पारदर्शी थी. विभाग के डिप्टी डायरेक्टर के मुताबिक, सालाना 1 करोड़ रुपये का किराया विशेषज्ञ आकलन के बाद तय किया गया था. साथ ही इसमें कोई भी हिस्सा ले सकता था. विभाग का कहना है कि अब तक इस प्रोजेक्ट से राज्य को 5 करोड़ रुपये से ज्यादा जीएसटी के रूप में मिला है.
कंपनी का पक्ष
राजस एयरोस्पोर्ट्स ने गड़बड़ी से इनकार किया है और कहा है कि उनके खिलाफ लगाए गए आरोप भ्रामक हैं. उनका दावा है कि कंपनी के फैसले केवल संस्थापकों और प्रबंधन द्वारा लिए जाते हैं और किसी निवेशक की हिस्सेदारी को मिलीभगत से जोड़ना गलत है.
जॉर्ज एवरेस्ट एस्टेट क्या है?
मसूरी के पास स्थित यह ऐतिहासिक एस्टेट कभी ब्रिटिश सर्वेयर जनरल सर जॉर्ज एवरेस्ट का घर था. इसे एशियन डेवलपमेंट बैंक की मदद से 23.5 करोड़ रुपये की लागत से पुनर्निर्मित किया गया है. यहां पैराग्लाइडिंग, हॉट एयर बलून, रॉक क्लाइम्बिंग और जाइरो कॉप्टर जैसी एडवेंचर गतिविधियों की योजना थी.
राजस एयरोस्पोर्ट्स को इस एस्टेट के संचालन का 15 साल का कॉन्ट्रैक्ट मिला. बाद में इसे एयर सफारी सेवाओं का ठेका भी दिया गया, जिसमें सब्सिडी वाले रूट और लैंडिंग चार्ज से छूट जैसे फायदे शामिल थे.
पारदर्शिता पर छिड़ी बहस
जानकारों का कहना है कि आचार्य बालकृष्ण की कई कंपनियों के ज़रिए हिस्सेदारी बढ़ाना प्रतिस्पर्धा की निष्पक्षता पर असर डालता है और यह प्रक्रिया की मूल भावना के खिलाफ जाता है.
दूसरी ओर, सरकार और कंपनी का तर्क है कि पूरी प्रक्रिया कानूनी ढंग से और पारदर्शी तरीके से हुई है.