पिछली बार की वार्ता की कड़वाहट को पीते हुए एक बार फिर से यूक्रेनी राष्ट्रपति ब्लादिमीर जेलेंस्की व्हाइट हाउस में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के साथ मुलाकात करने वाले हैं, पर इस बार जेलेंस्की अकेले नहीं हैं. इस बैठक में ब्रिटेन और इटली के प्रधानमंत्री और फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैंक्रो सहित कई यूरोपीय नेता शामिल होंगे.
लेकिन इस बैठक से ठीक पहले ट्रंप ने कुछ ऐसा कह दिया है, जिससे युद्ध विराम पर शांति समझौता होना फिर से मुश्किल लग रहा है. ट्रंप ने अपना रूख साफ़ करते हुए कहा है कि यूक्रेन को क्रीमिया वापस लेना भूल जाना चाहिए और नाटो में शामिल होने की महत्वाकांक्षा छोड़ देनी चाहिए. ट्रंप का ये बयान ऐसे वक्त में आया है, जब पिछले दिनों उन्होनें रूसी राष्ट्रपति पुतिन से मुलाकात की थी, जिसमें जेलेंस्की को शामिल नहीं किया गया था. ऐसे में ट्रंप के इस नये बयान को यूक्रेन के साथ अमेरिका का विश्वासघात माना जा रहा है.
क्या ट्रंप ने दिया यूक्रेन को धोखा ?
जिस तरह से बीच युद्ध में अमेरिका जेलेंस्की पर युद्ध रोकने के लिए दबाव बना रहा है. इससे कई सवाल भी खड़े हो रहे हैं. क्योंकि फरवरी 2022 में शुरू हुआ, तब अमेरिका ने यूक्रेन से राजनीतिक और सैन्य समर्थन का वादा किया था. यूक्रेन की संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता का समर्थन किया था. इसके साथ ही अमेरिका ने नाटो और यूरोपीय संघ के साथ मिलकर रूस पर कड़े आर्थिक प्रतिबंध लगाने का भी वादा किया था.
हालांकि अमेरिका ने स्पष्ट किया था कि वह रूस के साथ सीधे युद्ध में प्रवेश नहीं करेगा पर उसने यूक्रेन को जितना भी आवश्यक समर्थन होगा वो देगा. जनवरी 2022 में अमेरिकी विदेश सचिव एंटनी ब्लिंकन और यूक्रेन के अधिकारियों ने स्पष्ट कहा था कि रूस-यूक्रेन युद्ध के मामले में किसी भी वार्ता में यूक्रेन की भागीदारी के बिना कोई निर्णय नहीं होगा. लेकिन अब ट्रंप के सुर बदल गए हैं.
क्यों शुरू हुआ था रूस-यूक्रेन युद्ध ?
फरवरी 2022 में शुरू हुआ यह भीषण रूस-यूक्रेन युद्ध के कई ऐतिहासिक और तात्कालिक कारण थे. ताजा विवाद के पीछे एक बड़ा कारण 2014 में क्रीमिया पर रूस का अधिकार कर लेना था.
इसके बाद 2022 में यूक्रेन ने नाटो में शामिल होने की घोषणा की. यूक्रेन के इस निर्णय को रूस ने अपने लिए खतरे के रूप में देखा. क्योंकि इससे अमेरिका, यूक्रेन में सैन्य बेस स्थापित करने की पहुंच पा जाता. जो रूस के व्यापारिक मार्गों और देश की सुरक्षा के लिए संभावित खतरा था.
रूस ने यूक्रेन को नाटो में शामिल न होने की चेतावनी दी थी. पर अमेरिका और जेलेंस्की के बीच बढ़ती करीबी को देखकर, फरवरी 2022 में पूर्वी यूक्रेन के क्षेत्र डोनेट्स्क और लुहान्स्क को स्वतंत्र देश की मान्यता दे दी औऱ उसके तुरंत बाद 24 फरवरी 2022 को “Special Military Operation” घोषित कर यूक्रेन पर आक्रमण कर दिया. इसके पीछे रूस ने तर्क दिया कि यह कदम “यूक्रेन का सैन्यीकरण रोकने और रूसी भाषी लोगों की रक्षा” के लिए है.
अमेरिका के इस यू टर्न का क्या है कारण ?
अमेरिका का कहना है कि रूस-यूक्रेन युद्ध में उसने भारी मात्रा में यूक्रेन को हथियार, आर्थिक मदद और अंतरराष्ट्रीय समर्थन दिया है, पर युद्ध ज्यादा लंबा खिंच रहा है. दूसरी तरफ मीडिल ईस्ट से लेकर एशिया तक कई वॉर फ्रंट पर तनाव की स्थिति है. दूसरी तरफ टैरिफ नीति को लेकर भी अमेरिका पर वैश्विक दवाब है. ऐसे में ट्रंप की कोशिश है कि यूक्रेन रूस के बीच का युद्ध जल्द से जल्द खत्म हो. इस पूरी परिस्थिति में जेलेंस्की चारों तरफ से घिर गए हैं. क्योंकि जिन कारणों को लेकर जेलेंस्की रूस से उलझे थे उन्हे से कुछ भी अभी तक उनके हाथ नहीं लगा है.