नई दिल्ली: अमेरिका और भारत के बीच रिश्तों में इन दिनों खटास देखने को मिल रही है। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भारत पर 50% का भारी टैरिफ (आयात पर टैक्स) लगा दिया है. ये फैसला इसलिए लिया गया क्योंकि भारत ने रूस से तेल और रक्षा उपकरण खरीदे. पहले से ही 25% टैरिफ लगा हुआ था, अब उस पर 25% और जुड़ गया है. इसका सीधा मतलब है कि भारत से अमेरिका को जाने वाले माल की कीमत अचानक बहुत ज्यादा बढ़ गई है.
भारत हर साल अमेरिका को करीब $87 बिलियन का सामान बेचता है, जिसमें से 55-66% पर यह टैरिफ लागू हुआ है. यानी लगभग $48-60 बिलियन का व्यापार सीधे प्रभावित होगा. यह भारत के कुल निर्यात का करीब 18% और जीडीपी का 2% हिस्सा है. ऐसे में यह कदम भारत की अर्थव्यवस्था के लिए काफी बड़ा झटका है.
किन सेक्टर्स पर टैरिफ की सबसे ज्यादा मार?
यह टैरिफ सबसे ज्यादा असर श्रम-गहन सेक्टरों पर डाल रहा है. मतलब वे उद्योग, जिनमें बहुत बड़ी संख्या में मजदूर और कर्मचारी काम करते हैं.
- टेक्सटाइल और गारमेंट्स: अमेरिका भारत के रेडीमेड कपड़ों का सबसे बड़ा खरीदार है. लेकिन 30-35% महंगे होने से अब वहां से ऑर्डर रुकने लगे हैं. तिरुपुर जैसे कपड़ा हब में लाखों कामगारों की नौकरियां खतरे में हैं. इस सेक्टर को अकेले $16 बिलियन का नुकसान हो सकता है.
- रत्न और आभूषण: भारत से अमेरिका को हर साल लगभग $10 बिलियन का रस्टन और आभूषण निर्यात होता है. लेकिन अब 40% गिरावट देखी जा रही है. खासकर मुंबई में ज्वैलरी पॉलिशिंग और पैकिंग यूनिट्स बुरी तरह प्रभावित होंगे.
- सीफूड और मत्स्य उत्पाद: आंध्र प्रदेश और केरल में झींगा और मछली की खेती से जुड़े लगभग 30 लाख लोग सीधे या अप्रत्यक्ष रूप से काम करते हैं. अब निर्यात घटने और कीमत कम होने से उनका रोजगार खतरे में है.
- चमड़ा और फुटवियर: MSMEs पर भारी असर है। कई छोटे कारखाने बंद होने की कगार पर पहुंच गए हैं.
- ऑटो पार्ट्स और स्टील: इन सेक्टरों में 20-30% की गिरावट देखी जा रही है, जिससे सप्लाई चेन बाधित हो रही है.
आने वाले समय में क्या होगा असर?
आर्थिक विशेषज्ञों का मानना है कि भारत के निर्यात में 40-50% तक की कमी आ सकती है. जीडीपी की ग्रोथ, 6% के नीचे जा सकती है.
सबसे बड़ी चिंता नौकरियों को लेकर है. कपड़ा उद्योग से लेकर फिशिंग और चमड़े तक, लाखों मजदूर और छोटे कारोबारी इस संकट का सामना कर रहे हैं. खासकर ग्रामीण इलाकों में जहां लोगों की रोज़ी-रोटी पूरी तरह निर्यात पर निर्भर है.
भविष्य की राह
भारत सरकार ने कुछ कदम उठाए हैं – जैसे आयात शुल्क में छूट देना, नए बाजारों (यूरोप, दक्षिण-पूर्व एशिया) को टारगेट करना और अमेरिका से बातचीत करने की कोशिश करना. लेकिन अल्पकालिक राहत सीमित है.
लंबे समय में भारत को अपनी सप्लाई चेन मजबूत करनी होगी और घरेलू उत्पादन पर ज्यादा ध्यान देना होगा. साथ ही, चीन, बांग्लादेश और वियतनाम जैसे देशों से प्रतिस्पर्धा करने के लिए भारत को अपने उत्पादों को सस्ता और ज्यादा आकर्षक बनाना पड़ेगा.
कुल मिलाकर, अमेरिका का 50% टैरिफ भारत की अर्थव्यवस्था के लिए किसी आर्थिक झटके से कम नहीं है. आने वाले महीनों में इसका असर जीडीपी, नौकरियों और कारोबार पर साफ दिख सकता है