भारत से हर साल लगभग हजारों की संख्या में स्टूडेंट्स हायर ऐजूकेशन के लिए अमेरिका जाते हैं, पर ट्रंप प्रशासन ने हाल ही में अमेरिका की स्टूडेंट वीजा पॉलिसी में बदलाव की घोषणा की है. जिसने अमेरिका में पढ़ने वाले भारतीय छात्रों के सामने नया संकट खड़ा कर दिया है.
नई स्टूडेंट वीजा पॉलिसी में क्या है ?
नई नीति के तहत अब विदेशी छात्रों के वीजा की अवधि अधिकतम चार साल तक सीमित की जा सकती है. अगर किसी स्टूडेंट का कोर्स चार साल से अधिक अवधि का है, तो उसे दोबारा स्टूडेंट वीजा लेना होगा, या फिर अमेरिका छोड़ना पड़ेगा.
माना जा रहा है कि इसका सीधा असर पीएचडी, रिसर्च और मेडिकल स्टूडेंट्स पर पड़ेगा, क्योंकि उनकी पढ़ाई आमतौर पर चार साल से ज्यादा अवधि की होती है. जबकि 1978 से लागू व्यवस्था के अनुसार नियम यह था कि विदेशी स्टूडेंट्स जब तक अपना कोर्स पूरा करते थे, तब तक अमेरिका में रह सकते थे.
हजारों भारतीय छात्रों के सामने संकट के बादल
ओपन डोर्स रिपोर्ट 2024 के अनुसार, साल 2023–24 अकादमिक वर्ष में अमेरिका में पढ़ने वाले भारतीय छात्रों की संख्या लगभग 3.32 लाख थी. अमेरिकी विदेश मंत्रालय की एक रिपोर्ट के मुताबिक अक्टूबर 2022 से सितंबर 2023 में 1,40,000 से अधिक भारतीय छात्रों को एफ-1 वीज़ा जारी किया गया, जो उस वर्ष का रिकॉर्ड था. इसके बाद के सालों में भारतीय छात्रों को जारी एफ-1 वीज़ा में भारी गिरावट देखने को मिली. 2024 में इनकी संख्या 86,000 थी. वहीं मार्च से मई 2025 तक, भारतीय छात्रों को केवल 9,906 F-1 वीज़ा ही जारी किए गए.
क्या होगा भविष्य ?
ऐसे समय में जब भारत-अमेरिका के संबंध अपने सबसे निचले स्तर पर चल रहे हैं और पिछले कुछ वर्षों से भारत से अमेरिका जाने वाले छात्रों की संख्या अमेरिका की वीज़ा पॉलिसी की वजह से घटी है, यह नया नियम वहां पढ़ाई कर रहे छात्रों के सामने नया संकट है.
हालांकि अभी यह प्रस्ताव अभी लागू नहीं हुआ है. डिपार्टमेंट ऑफ होमलैंड सिक्योरिटी ने इस पर 30 दिनों के भीतर जनता से आपत्तियां और सुझाव मांगे हैं. परन्तु अगर यह नियम लागू होता है तो अमेरिका में पढ़ाई करने की चाह रखने वाले लाखों युवाओं के सामने नई चुनौती खड़ी हो जाएगी.