अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने अंतरराष्ट्रीय रणनीति में बड़ा बदलाव करते हुए भारत पर अपने हमले नरम कर दिए हैं और अब चीन पर सीधी चोट कर दी है. लंबे समय तक नई दिल्ली को रूसी तेल खरीदने के लिए निशाना बनाने और टैरिफ बढ़ाने की धमकी देने वाले ट्रंप ने अब बीजिंग को नया दुश्मन करार दे दिया है.
नाटो देशों से अपील
सोशल ट्रुथ पर अपनी ताज़ा पोस्ट में ट्रंप ने नाटो देशों से अपील की कि सभी सदस्य रूस से तेल खरीदना बंद करें और सामूहिक रूप से मॉस्को पर कड़े प्रतिबंध लगाएँ. उन्होंने साफ शब्दों में कहा कि जब नाटो पूरी तरह तैयार होगा, तब वह भी इस दिशा में कदम उठाने के लिए तैयार हैं.
चीन पर सबसे बड़ा वार
हालाँकि ट्रंप की सबसे तीखी आलोचना चीन को लेकर रही. उन्होंने नाटो से मांग की कि चीन पर 50 से 100 प्रतिशत तक टैरिफ लगाया जाए और युद्ध खत्म होने पर इसे हटा दिया जाए. उनका दावा है कि रूस पर चीन की पकड़ मजबूत है और ऐसे आर्थिक कदम बीजिंग को कमजोर कर सकते हैं.
चीन का पलटवार
ट्रंप के बयान के तुरंत बाद चीन ने पलटवार करते हुए कहा कि वह न तो युद्ध की योजना बनाता है और न ही उसमें शामिल होता है. बीजिंग ने अमेरिकी राष्ट्रपति के आरोपों को आधारहीन बताया है.
ट्रंप का रुख क्यों बदला?
विशेषज्ञ मानते हैं कि ट्रंप का रुख इसलिए चौंकाने वाला है क्योंकि अब तक वह भारत पर 50% भारी टैरिफ और चीन पर अपेक्षाकृत हल्के 30% टैरिफ लगाये थे. हाल के दिनों में भारत-अमेरिका संबंध भी तनावपूर्ण रहे थे, लेकिन हाल ही में हुए SCO शिखर सम्मेलन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को चीन और रूस के नेताओं के साथ सहज बातचीत करते देख अमेरिका की चिंता बढ़ गई है. ट्रंप ने पहले भी कहा था कि अमेरिका ने भारत को “अंधेरे में डूबे चीन” के हाथों खो दिया है. शायद यही वजह है कि अब उन्होंने भारत पर नरमी और चीन पर कड़ा रुख अपनाने का फैसला किया है.