गोरखपुर: जिले में छोटे बच्चों के बीच टोमेटो फीवर नाम की एक नई और रहस्यमयी बीमारी काफी तेज़ी से फ़ैल रही है. यह बीमारी बेहद तेजी से नवजात शिशुओं से लेकर पांच वर्ष तक के बच्चों को प्रभावित कर रही है. ऐसे में शहर का स्वास्थ्य महकमा सतर्क हो गया है और सभी अस्पतालों और स्वास्थ्य केंद्रों को अलर्ट मोड पर रखा गया है.
क्या है टोमेटो फीवर?
इस बीमारी के दौरान बच्चों में तेज बुखार, शरीर पर जलन के साथ लाल रंग के फोड़े और दाने के रूप में दिखाई देते हैं. जो देखने में टमाटर जैसे लगते हैं. इसी वजह से इसे टोमेटो फीवर नाम दिया गया है. आमतौर पर यह लक्षण छोटे बच्चों में ज्यादा देखे जा रहे हैं. खासकर उन बच्चों में जिनकी रोग प्रतिरोधक क्षमता कमजोर होती है. गोरखपुर के खोराबार ब्लॉक के कुछ स्वास्थ्य केंद्रों पर अब तक ऐसे लक्षणों वाले 9 बच्चों की पहचान की जा चुकी है. हालांकि इन मामलों की पुष्टि के लिए अभी मेडिकल परीक्षण जारी हैं. लेकिन इतने कम समय में एक साथ कई केस सामने आने से प्रशासन और स्वास्थ्य विभाग की चिंता बढ़ गई है. स्वास्थ्य टीमों को मौके पर भेजा गया है और स्थिति पर लगातार नजर रखी जा रही है.
विशेषज्ञों की राय
जिला अस्पताल गोरखपुर के बाल रोग विशेषज्ञ डॉ. गौरव कुमार गणेश ने बताया कि ये बीमारी फिलहाल ये बीमारी सिर्फ छोटे बच्चों में देखी जा रही है. डॉ. गणेश के अनुसार, बच्चों का इम्यून सिस्टम कमजोर होने के कारण यह फ्लू उन्हें जल्दी अपनी चपेट में ले रहा है. डॉ. ने बताया कि शुरुआती लक्षणों में बच्चों के शरीर पर छोटे-छोटे दाने निकलते हैं. जो बाद में फफोलों में बदल जाते हैं. अगर समय रहते इलाज न हो, तो यह संक्रमण गंभीर रूप ले सकता है.
स्वास्थ्य विभाग का एक्शन प्लान
टोमेटो फीवर के संभावित प्रसार को देखते हुए जिला स्वास्थ्य विभाग ने अलर्ट जारी कर दिया है. विभाग की ओर से कहा गया है कि सभी अस्पतालों को सतर्क कर दिया गया है, और चिकित्सकों की टीमें तैयार हैं. स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों ने बताया कि ग्रामीण क्षेत्रों में आशा और आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं के माध्यम से जानकारी और जागरूकता फैलाई जा रही है ताकि लोग समय रहते लक्षणों को पहचान सकें और इलाज करवा सकें.
डॉ. गौरव कुमार गणेश ने बताया कि यदि बच्चे के शरीर पर लाल रंग के दाने या फफोले दिखें, मुंह, हाथ या पैरों पर चकत्ते उभर आएं, साथ ही बुखार, कमजोरी, सुस्ती और भूख न लगने जैसे लक्षण नजर आएं, तो इसे हल्के में न लें. इन लक्षणों को देखते ही तुरंत डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए. डॉ. गौरव कुमार गणेश ने सलाह दी है कि माता-पिता किसी भी स्थिति में घरेलू इलाज या देसी दवाओं का सहारा न लें, क्योंकि इससे समस्या और बढ़ सकती है. उन्होंने कहा कि ऐसे मामलों में विशेषज्ञ की राय लेना ही सबसे सुरक्षित और सही कदम है.