आगामी अमावस्या के दिन सूर्य ग्रहण जरूर लग रहा है, लेकिन भारतवासी इसके सीधे प्रभाव से अछूते रहेंगे. ज्योतिषाचार्यों के अनुसार, जब ग्रहण हमारे क्षेत्र में दिखाई ही नहीं देगा, तो सूतक काल भी मान्य नहीं होगा. यही कारण है कि इस दौरान मंदिरों के कपाट बंद नहीं होंगे और धार्मिक अनुष्ठान सामान्य रूप से चलते रहेंगे.
हालांकि, परंपरा और आस्था के चलते कई लोग सावधानी बरतना पसंद करते हैं. ज्योतिष शास्त्र कहता है कि ग्रहण के समय नकारात्मक ऊर्जा का संचार बढ़ सकता है, इसलिए मानसिक शांति बनाए रखने के लिए वैदिक मंत्रों का जाप करना शुभ रहता है. कई लोग भोजन-पानी से परहेज करते हैं, जबकि गर्भवती महिलाओं को विशेष सतर्क रहने और घर के अंदर ही रहने की सलाह दी जाती है.

ग्रहण समाप्त होने के बाद स्नान कर पूजा-पाठ करना और फिर कोई नया कार्य शुरू करना शास्त्रसम्मत माना गया है. चूंकि इस बार ग्रहण पितृपक्ष की अंतिम तिथि पर पड़ रहा है, ऐसे में जो लोग पितृ तर्पण करना चाहते हैं, वे दोपहर के समय यह विधि पूरी कर सकते हैं.
धार्मिक दृष्टि से भले ही सूतक का बंधन भारत पर लागू न हो, लेकिन राशियों पर इसका सूक्ष्म प्रभाव जरूर दिखाई देगा. इसीलिए इसे केवल खगोलीय घटना नहीं, बल्कि आस्था और आचार से जुड़ा विशेष समय भी माना जा रहा है.