भारत और चीन के बीच द्विपक्षीय संबंधों को आगे बढ़ाने की दिशा में एक अहम पहल करते हुए चीन के विदेश मंत्री वांग यी दो दिवसीय यात्रा पर सोमवार को नई दिल्ली पहुंचे. यात्रा के पहले दिन उनकी मुलाकात भारतीय विदेश मंत्री डॉ. एस जयशंकर से हुई, जिसमें दोनों देशों के बीच आर्थिक सहयोग, सीमा विवाद तथा द्विपक्षीय आदान-प्रदान जैसे मुद्दों पर विस्तार से चर्चा हुई. विश्व स्तर पर बढ़ते भू-राजनीतिक तनावों के बीच वांग यी ने भारत की तीन महत्वपूर्ण चिंताओं – रेयर अर्थ मिनरल्स, उर्वरक (फर्टिलाइज़र) और सुरंग खोदने वाली मशीनों (टनल बोरिंग मशीन) – पर सहयोग का आश्वासन दिया.
वरिष्ठ सूत्रों के अनुसार, चीनी विदेश मंत्री ने जयशंकर से कहा कि चीन इन तीनों जरूरतों के समाधान में भारत की मदद करेगा ताकि दोनों देशों के बीच आर्थिक संबंधों को नई दिशा दी जा सके. बातचीत के दौरान जयशंकर ने जोर देकर कहा कि पड़ोसी देशों और वैश्विक अर्थव्यवस्थाओं के रूप में भारत और चीन के संबंध पारस्परिक सम्मान, संवेदनशीलता और साझा हितों पर आधारित होने चाहिए. उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि व्यापारिक प्रतिबंधों और बाधाओं से बचना आवश्यक है क्योंकि स्थिर एवं रचनात्मक भारत-चीन संबंध केवल दोनों देशों के लिए ही नहीं, बल्कि पूरे विश्व के लिए लाभकारी साबित होंगे.
LAC पर तनाव घटाने को लेकर बनी सहमति
दोनों विदेश मंत्रियों ने पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) पर जारी तनाव को खत्म करने की आवश्यकता पर भी सहमति जताई और इसे प्राथमिकता के तौर पर स्वीकार किया. वांग यी की यह यात्रा ऐसे समय हो रही है जब प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के 31 अगस्त से चीन में होने वाले एससीओ शिखर सम्मेलन में संभावित भागीदारी की चर्चा तेज है. विशेषज्ञों का मानना है कि गलवान घाटी घटना के बाद यह दौरा द्विपक्षीय संबंधों को सामान्य करने की दिशा में एक सकारात्मक संकेत है. मंगलवार को वांग यी राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल से भी सीमा संबंधी मुद्दों पर विशेष प्रतिनिधि स्तर की वार्ता करेंगे.