बीते 7 अगस्त को कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस कर बीजेपी और चुनाव आयोग पर वोट चोरी का बड़ा आरोप लगाया. उन्होने 2024 में हुए लोकसभा चुनावों के दौरान बेंगलुरु सेंट्रल की महादेवपुरा विधानसभा क्षेत्र का डाटा सामने रखते हुए ये आरोप लगाया. जिसमें उन्होने बताया की लोकसभा चुनाव में सिर्फ इस महादेवपुरा सीट पर लगभग 1,00,250 वोटों की चोरी की गई. राहुल गांधी ने बताया कि वोट चोरी के लिए 5 तरीकों का इस्तेमाल किया गया. जिसमें डुप्लिकेट वोटर, फर्जी पते, एक पते पर एक से अधिक वोटर का पंजीकरण, अवैध फोटो और फॉर्म 6 का दुरुपयोग शामिल था.
7 अगस्त की प्रेस कॉन्फ्रेंस के बाद कांग्रेस ने वोट चोरी को मुद्दा बना कर पूरे देश में कैंपेन शुरू कर दिया. बिहार में तो राहुल गांधी और तेजस्वी यादव ने वोटर अधिकार यात्रा भी निकाली. लेकिन अब राहुल गांधी के प्रेस कॉन्फ्रेंस पर कुछ लोग सवाल उठा रहे हैं. उनका कहना है कि जिस पीडीएफ से प्रेजेंटेशन दिया गया है उसके मेटाडेटा के अनुसार जो टाइमजोन दिखा रहा है वो म्यांमार का है. यानी उनका कहना है कि ये प्रेजेंटेशन किसी और ने बनाई है. जिसे कांग्रेस ने इस्तेमाल किया.
इस पर सोशल मीडिया पत्रकार श्याम मीरा सिंह ने अपनी रिसर्च दी है. उनके अनुसार ‘Metadata, लोकेशन प्रूफ़ नहीं होता. Metadata सिर्फ़ उस सिस्टम की सेटिंग्स दिखाता है, जिस पर फ़ाइल बनी है. अगर किसी मोबाइल/कंप्यूटर या अन्य मशीन का timezone गलत सेट है (जानबूझकर, गलती से या default), तो मेटाडेटा में वही टाइम record हो जाएगा. जैसे मैं दिल्ली में हूं और एक पीडीएफ़ क्रिएट करूं लेकिन मेरे कंप्यूटर का टाइम अगर गलती से कलकत्ता के टाइमजोन पर सेट है तो मेरे पीडीएफ़ के मेटाडाता में कलकत्ता का टाइम ज़ोन दिखेगा. जबकि मैंने उसे दिल्ली में क्रिएट किया है.’
अब इसको लेकर नई बहस शुरू हो गई है. फिलहाल राहुल गांधी रायबरेली के दौरे पर हैं और वहां उन्होने पत्रकारों से बातचीत में कहा कि देशभर में हुई वोटचोरी पकड़ी गई है. वो और सबूतों के साथ नए मामले का जल्द खुलासा करेंगे.