कतर की राजधानी दोहा में हमास नेताओं को निशाना बनाकर किया गया इज़रायली हवाई हमला न केवल अपने मकसद में नाकाम हो गया, बल्कि अब यह मामला इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू और इजरायल की खुफिया एजेंसी मोसाद के बीच गहरे विवाद का कारण बनता जा रहा है.
किस ऑपरेशन को लेकर हुआ विवाद?
दरअसल, इजरायल की खुफिया एजेंसी मोसाद ने कतर के उस जमीनी ऑपरेशन को अंजाम देने से इनकार कर दिया, जिसे उसने ही तैयार किया था. मोसाद के पीछे हटने के बाद प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने हवाई हमले का आदेश दिया. हालांकि, शुरुआती दावों के बावजूद इस हमले में कोई बड़ा हमास नेता नहीं मारा गया. शुक्रवार को हमास ने साफ किया कि वरिष्ठ हमास नेता खलील अल-हैया सुरक्षित हैं और उन्होंने अपने बेटे हम्माम के अंतिम संस्कार में हिस्सा भी लिया है. इसके साथ हमास समर्थक सूत्रों ने भी दावा किया कि अल-हैया और अन्य वरिष्ठ नेता घायल हो सकते हैं, लेकिन उनकी मौत नहीं हुई.
नेतन्याहू और मोसाद के बीच हुई असहमति!
इस ऑपरेशन के नाकाम होने के बाद इजरायल के शीर्ष नेतृत्व में गहरी असहमति सामने आई है. सेना प्रमुख एयाल जमीर, मोसाद प्रमुख डेविड बरनिया और राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार तजाची हानेगबी इसके खिलाफ थे, जबकि प्रधानमंत्री नेतन्याहू, रक्षा मंत्री इजरायल कैट्ज और शिन बेट प्रमुख इसके समर्थन में खड़े थे. खास बात यह रही कि बंधक वार्ता का नेतृत्व कर रहे नित्जान अलोन को इस बैठक में बुलाया ही नहीं गया.
विशेषज्ञों का कहना है कि मोसाद ने इस बार जमीनी कार्रवाई से दूरी बना ली, क्योंकि कतर में सीधा हमला इजरायल के लिए कूटनीतिक संकट खड़ा कर सकता था. इसी वजह से हवाई हमले का विकल्प चुना गया, लेकिन नतीजे उलटे पड़ गए. अब इस कदम ने न सिर्फ कतर-इजरायल संबंधों को झटका दिया है, बल्कि इजरायल की सुरक्षा रणनीति और नेतन्याहू के फैसलों पर भी गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं.
अमेरिका ने जताई नाराज़गी
अमेरिका और कतर भी इस कार्रवाई से नाराज़ दिखे. अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने खुलकर असंतोष जताया, जबकि कतर ने अगले सप्ताह आपातकालीन अरब-इस्लामी शिखर सम्मेलन बुलाने का ऐलान किया. हमले में अल-हैया का बेटा और कतर के एक सुरक्षा अधिकारी समेत पांच लोगों की मौत हुई.
वहीं शुक्रवार को संयुक्त राष्ट्र महासभा में प्रस्ताव पेश किया, जिसमें दो-राष्ट्र समाधान लागू करने की बात की गई. UN में हुई वोटिंग में भारत सहित 142 देशों ने प्रस्ताव के पक्ष में मतदान किया. इसके साथ ही इस प्रस्ताव में इजरायल और हमास दोनों द्वारा की गई हिंसा की निंदा भी की गई और गाजा को फिलिस्तीन राज्य का अभिन्न हिस्सा बताया गया. वहीं, इजरायल और अमेरिका ने इस प्रस्ताव को केवल राजनीतिक प्रदर्शन करार दिया तो भारत ने स्पष्ट रूप से फिलिस्तीन को राज्य का दर्जा देने का समर्थन किया.