बिहार में राहुल गांधी की वोटर अधिकार यात्रा को लेकर खासा उत्साह देखा जा रहा है. शायद यही कारण है कि आरजेडी नेता तेजस्वी यादव पहले इस यात्रा में कुछ ही दिन जुड़ने वाले थे लेकिन वो अभी तक यात्रा में राहुल गांधी के साथ बने हुए हैं. राहुल गांधी की यात्रा जब बिहार के सीमांचल इलाके में पहुंची तो लोगों में जबरदस्त उत्साह दिखा.
सीमांचल में सीटों का गणित
दरअसल बिहार का सीमांचल इलाका नेपाल और पश्चिम बंगाल के बॉर्डर पर स्थित जिलों को मिला कर कहा जाता है। पूर्णिंया, कटिहार, अररिया और किशनगंज जिले मुख्यरूप से सीमांचल का हिस्सा माने जाते हैं. इन जिलों में अगर विधानसभा सीटों की बात की जाए तो 24 विधानसभा सीटें आती हैं. जिसमें पूर्णिंया में 7, कटिहार में 7, अररिया में 6 और किशनगंज जिले में 4 विधानसभा सीटें मानी जाती है.
2020 में महागठबंधन को लगा था झटका
2020 के विधानसभा चुनाव में महागठबंधन को सीमांचल से बड़ी उम्मीदें थी. लेकिन जब चुनावी नतीजे आए तो न सिर्फ सीमांचल में महागठबंधन को झटका लगा बल्कि इसका असर ये हुआ कि महागठबंधन सरकार बनाने से भी चूक गया. सांसद असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी एमआईएम ने सबको चौंकाते हुए 5 सीटों अमौर, कोचाघाट, जोकीहाट, बायसी औऱ बहादुरगंज पर कब्जा कर लिया. वही एनडीए को 12 सीटें मिली थी. इसमें माना गया था कि एमआईएम ने मुस्लिम वोटों में बिखराव किया जिससे एनडीए को जीत मिलने में आसानी हुई.
हालांकि बिहार के बाकी हिस्से में मुस्लिम मत महागठबंधन की तरफ गए लेकिन सीमांचल में ओवैसी का जादू चल गया. इस बार बिहार में कांग्रेस नई रणनीति लेकर उतरी है, चुनाव आयोग के एसआईआर को लेकर दलित, पिछड़े और मुस्लिमों में नाराजगी देखी जा रही है. इसी नाराजगी को लेकर राहुल गांधी ने वोटर अधिकार यात्रा शुरू की. कांग्रेस इस बार सीमांचल में पूरी ताकत लगाने जा रही है. हालांकि बीच बीच में चर्चा हो रही है कि ओवैसी महागठबंधन में शामिल होंगे. लेकिन कांग्रेस और आरजेडी की तरफ से इस कयास को सिरे से खारिज किया जा रहा है. कांग्रेस के नेशनल कोऑर्डिनेटर इकबाल अहमद का मानना है कि
यात्रा जब पूर्णिंया पहुंची तो एक और तस्वीर ने सबका ध्यान खींचा, राहुल गांधी के करीबी सांसद पप्पू यादव भी सीमांचल से ही आते हैं. उनके और आरजेडी के संबंध हाल के दिनों में बहुत बेहतर नहीं रहे लेकिन जब राहुल गांधी पूर्णिंया पहुंचे तो पप्पू यादव भी तेजस्वी यादव के साथ मुस्कुराते हुए नजर आए. इसका संकेत ये माना गया कि पप्पू यादव को लेकर आरजेडी की तल्खी कम से कम चुनाव तक के लिए तो खत्म हो गई है. यानी महागठबंधन एकजूट होकर विधानसभा चुनाव में उतरने जा रही है.
अब अगर राहुल गांधी अपनी रणनीति यानी दलित, पिछड़े औऱ मुस्लिमों को एकजुट करने में कामयाब रहे तो नतीजा पिछली बार से अलग होगा.