इंडिया गठबंधन की ओर से उपराष्ट्रपति पद के लिए घोषित उम्मीदवार बी. सुदर्शन रेड्डी ने आज अपना नामांकन पत्र दाखिल कर दिया है. रेड्डी मूल रूप से तेलंगाना से हैं और न्यायिक सेवा क्षेत्र में उनका लंबा अनुभव रहा है. कांग्रेस की वरिष्ठ नेता सोनिया गांधी समेत 80 लोग उनके प्रस्तावक बनें. नामांकन के दौरान कांग्रेस के अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे, राहुल गांधी, शरद पवार समेत कई बड़े नेता उपस्थित रहे.
बी सुदर्शन रेड्डी के नाम का ऐलान करने के साथ ही उपराष्ट्रपति पद के चुनाव को लेकर राजनीति तेज हो गई. एनडीए उम्मीदवार सीपी राधाकृष्णन के सामने सुदर्शन रेड्डी को उतार कर इंडिया ब्ल़ॉक ने बीजेपी को दक्षिण की राजनीति में घेरने की कोशिश की है.
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि इंडिया गठबंधन ने बी. सुदर्शन रेड्डी को उम्मीदवार बनाकर एक बड़ा और सोच-समझकर किया गया राजनीतिक दांव चला है. यह फैसला केवल तेलंगाना तक सीमित नहीं है, बल्कि इसे पूरे दक्षिण भारत के मतदाताओं को एकजुट करने और उन्हें साधने की रणनीति के रूप में देखा जा रहा है.
दरअसल, बी. सुदर्शन रेड्डी का न्यायिक पृष्ठभूमि से आना, उनका आंध्र प्रदेश से नाता और पूरे दक्षिण में उनकी स्वीकार्यता, विपक्षी गठबंधन को क्षेत्रीय संतुलन साधने में मदद कर सकती है. इस कदम के जरिए इंडिया गठबंधन यह संदेश देने की कोशिश कर रहा है कि वह दक्षिण भारत की आवाज़ और उसकी राजनीतिक आकांक्षाओं को प्रतिनिधित्व देना चाहता है.
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वहीं, राजनीति में क्षेत्रीय पहचान यानी ‘अपनी ज़मीन और भाषा से जुड़ाव’ का मुद्दा अक्सर बहुत अहम हो जाता है. यही वजह है कि जब उपराष्ट्रपति पद के लिए दो दक्षिण भारतीय नेताओं सी. पी. राधाकृष्णन और बी. सुदर्शन रेड्डी के नाम सामने आए, तो दक्षिण भारत में यह मुद्दा चर्चा का विषय बन गया.
बी. सुदर्शन रेड्डी को लेकर इंडिया गठबंधन का तर्क है कि वे तेलुगू मूल से आते हैं, इसलिए आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू और पूर्व मुख्यमंत्री जगन मोहन रेड्डी को उनका समर्थन करना चाहिए.