बिहार के बाद अब चुनाव आयोग ने देशभर में मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) कराने का फैसला लिया है. इसके लिए चुनाव आयोग ने बुधवार को राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों के मुख्य निर्वाचन अधिकारियों (CEO) के साथ लंबी बैठक की है. ‘मैराथन तैयारी बैठक’ में साढ़े तीन घंटे से अधिक चले इस प्रेजेंटेशन में आयोग ने सभी राज्यों से स्थानीय स्तर पर मान्य दस्तावेजों की सूची तैयार करने को कहा है, ताकि मतदाता सत्यापन की प्रक्रिया सुचारू हो सके.
अक्टूबर में शुरू हो सकता है एसआईआर
सूत्रों के मुताबिक, SIR की शुरुआत अक्टूबर से होने की संभावना है. आयोग ने निर्देश दिया है कि सभी राज्य 30 सितंबर तक अपनी कागज़ी कार्यवाही और तैयारियां पूरी कर लें. अधिकांश राज्यों ने भरोसा जताया है कि वे समय पर तैयार हो जाएंगे. माना जा रहा है कि बिहार विधानसभा चुनाव खत्म होने से पहले ही SIR की औपचारिक घोषणा हो सकती है. हालांकि, अंतिम तारीखें तभी तय होंगी, जब राज्यों की प्रगति रिपोर्ट आयोग को मिल जाएगी.
अलग-अलग राज्यों में अलग होगी दस्तावेज़ों की सूची
आयोग का मानना है कि इस प्रक्रिया से न केवल नई मतदाता सूची अपडेट होगी बल्कि चुनावी पारदर्शिता और मतदाताओं का भरोसा भी मजबूत होगा. बैठक में यह भी स्पष्ट किया गया कि दस्तावेज़ों की सूची राज्यवार अलग होगी. आदिवासी बहुल और पूर्वोत्तर राज्यों में जहां स्थानीय निकाय व स्वायत्त बोर्ड पहचान-पत्र जारी करते हैं, वहीं समुद्र तटीय और अन्य क्षेत्रों में अलग तरह के प्रमाणपत्र मान्य होंगे.
क्या है SIR ?
SIR का मतलब है- Special Intensive Revision. ये चुनाव आयोग की एक तय प्रक्रिया है, जिसके तहत मतदाता सूची (Voter List) को समय-समय पर अपडेट किया जाता है. इस प्रक्रिया के तहत नए पात्र मतदाताओं के नाम जोड़े जाते हैं (18 साल या उससे ज़्यादा उम्र वालों के), वहीं जिन लोगों की मृत्यु हो चुकी है या जो दूसरी जगह चले गए हैं, उनके नाम हटा दिये जाते हैं. मतदाता सूची में गलतियों (जैसे नाम, उम्र, पता) को सुधारा जाता है, साथ ही जिन मतदाताओं का नाम डुप्लीकेट है, उसे ठीक किया जाता है.
इससे पहले कब हुआ है SIR ?
देशव्यापी स्तर पर पहला बड़ा SIR अभियान 1994–95 में चलाया गया था. इसके बाद समय-समय पर राज्यों में चुनाव से पहले गहन पुनरीक्षण किए जाते रहे, लेकिन पूरे देश में बड़े पैमाने पर अगला SIR अभियान 2008–09 के आम चुनावों से पहले हुआ था.
अब 2025 में फिर से पूरे देश में विशेष गहन पुनरीक्षण कराया जायेगा, जिसके लिए चुनाव आयोग ने राज्यों के मुख्य निर्वाचन अधिकारियों के साथ लंबी समीक्षा बैठक की है.