21 जुलाई से शुरू होने वाला संसद का मानसून सत्र गुरूवार को भारी हंगामें के बीच खत्म हो गया. पूरे सत्र के दौरान विपक्ष और सत्ता पक्ष के बीच तलवार खिंची रही. सत्र के आखिरी दिन लोकसभा स्पीकर ओम बिरला ने बताया कि सदन में 120 घंटे चर्चा का लक्ष्य रखा गया था, लेकिन सिर्फ 37 घंटे ही चर्चा हो सकी. आज आखिरी दिन भी हंगामें के बीच कार्यवाही पहले 12 बजे तक के लिए स्थगित की गई लेकिन बाद में अनिश्चितकाल के लिए स्थगित कर दी गई.
सदन में चर्चा की बात की जाए तो शुरूआती विरोधाभास के बाद सरकार ऑपरेशन सिंदूर पर चर्चा के लिए तैयार हो गई लेकिन बिहार SIR के मुद्दे पर चर्चा के लिए सरकार तैयार नहीं हुई. बिहार SIR और वोट चोरी जैसे मुद्दे पर विपक्ष बेहद आक्रामक तरीके से सवाल दागता रहा और सरकार इन दोनों मामलों पर बचती नजर आई. कई मामलों में मानसून सत्र ऐतिहासिक साबित हुआ.
संसद में रही विपक्ष के सवालों की गूंज
इस बार के मानसून सत्र में विपक्ष कई अहम मुद्दों पर सरकार को घेरता हुआ नज़र आया. सत्र की शुरुआत में ही विपक्ष ने पहलगाम आतंकी हमले और राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़े मामलों पर तुरंत चर्चा की मांग उठाई, जिस पर सदन में जमकर हंगामा हुआ और कई बार कार्यवाही बाधित हुई. इस दौरान “ऑपरेशन सिंदूर” पर चर्चा हुई जिस पर सरकार ने अपने जवाब दिये.
बिहार SIR पर घिरी सरकार!
इसके बाद बिहार में चुनाव आयोग द्वारा करवाये जा रहे वोटर लिस्ट के विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) के फैसले पर विपक्ष ने कड़ा विरोध जताते हुए इसे बंद करने की मांग की. उन्होनें इसे पक्षपातपूर्ण और बिहार के आगामी चुनाव में सत्ताधारी दल बीजेपी को लाभ पहुंचाने वाला बताया. लेकिन सरकार इस पर चर्चा के लिए तैयार नहीं हुई.
विपक्षी दलों ने कर्नाटक और महाराष्ट्र में हुए पिछले चुनावों पर सवाल उठाते हुए बड़े पैमाने पर गड़बड़ी का आरोप लगाया और इसे “वोट चोरी” करार दिया. इस मुद्दे पर सरकार से लगातार खुली बहस की मांग रखी.
गृहमंत्री के सामने फाड़ा गया बिल
जब गृहमंत्री अमित शाह ने 130वां संविधान संशोधन समेत तीन अहम विधेयकों को सदन में रखा तो इसे लेकर भी विपक्ष ने तीखा विरोध किया. 130वें संविधान संशोधन विधेयक में प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री और मंत्रियों को 30 दिन की जेल होने पर पद से हटाने का प्रावधान शामिल था. कुछ विपक्षी सांसदों ने गृहमंत्री अमित शाह के सामने इसकी प्रतियां भी फाड़ी. हंगामा इतना बढ़ा कि गृहमंत्री चौथी मेज पर चले गए. इसे असंवैधानिक बताते हुए कुछ विपक्षी नेताओं ने इसे वोट चोरी और बिहार SIR के मुद्दे से देश को भटकाने की सरकार की साजिश बताई. बढ़ते हंगामे के बीच सरकार ने इन तीनों विधेयकों को संयुक्त संसदीय समिति (JPC) के पास भेजने की घोषणा की. साथ ही, ऑनलाइन गेमिंग से जुड़े बिल को लेकर भी विपक्ष ने सवाल खड़े किए. उनका कहना था कि सरकार ने इसे बिना सभी पक्षों से सलाह-मशविरा किए पेश किया है, जिससे लाखों लोगों की रोज़ी-रोटी पर खतरा मंडरा सकता है.
उपराष्ट्रपति के इस्तीफे ने देश को चौंकाया
साल 2025 के मानसून सत्र की शुरूआत ही कई मायने में चौंकाने वाली रही. तत्कालीन उपराष्ट्रपति और राज्यसभा के सभापति जगदीप धनखड़ के पहले ही दिन अचानक इस्तीफे ने पूरे देश को चौंका दिया. इससे जस्टिस वर्मा पर महाभियोग लाने के मुद्दे पर सरकार और विपक्ष के बीच का रार सबसे सामने आ गया.
कुछ अहम विधायी फैसले हुए
हंगामे के बीच संसद में कई अहम फैसले भी लिए गए. Merchant Shipping Bill और Coastal Shipping Bill ने जहां भारत के समुद्री व्यापार की दिशा तय की, तो वहीं IIM Amendment Bill ने असम को उसका पहला IIM देने की ऐतिहासिक मंजूरी दी. कुल मिलाकर एक महीना तक चले इस सत्र के दौरान लोकसभा में 12 और राज्यसभा में 14 विधेयक पारित हुए, हालांकि साथ ही साथ बार-बार व्यवधान, स्थगन और बायकॉट का दौर भी जारी रहा.
सत्र खत्म होते होते विपक्ष और सत्ता पक्ष के बीच तकरार इतनी बढ़ गई कि विपक्ष ने प्रधानमंत्री मोदी द्वारा दिए गए चाय पार्टी का भी बहिष्कार कर दिया. इस दौरान विपक्ष ने लोकसभा स्पीकर ओम बिड़ला की भूमिका पर निराशा व्यक्त की तो वहीं सरकार की तरफ से भी विपक्ष के रवैये पर सवाल उठाया गया.