दिल्ली के जंतर-मंतर पर एक बार फिर देशभर से किसान बड़ी संख्या में जुट रहे हैं. संयुक्त किसान मोर्चा (SKM) की ओर से ‘किसान महापंचायत’ का आह्वान किया गया है, जिसके बाद से भारी मात्रा में किसान यहां इकट्ठे हो रहे हैं.
इस बार महापंचायत में किसानों का मुख्य मुद्दा न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) की कानूनी गारंटी है.
उनका कहना है कि सरकार ने तीनों कृषि कानून तो वापस ले लिए, पर एमएसपी पर कानून बनाने का वादा अभी तक पूरा नहीं किया गया. इसी मांग को लेकर किसान एकजुट होकर दबाव बना रहे हैं.
क्या हैं किसानों की मांगें ?
किसान संगठन एमएसपी के अलावा, पिछले किसान आंदोलन के दौरान किसानों पर दर्ज मुकदमों को वापस लेने, स्वामीनाथन आयोग की सिफारिशें लागू करने और अमेरिका के साथ चल रही व्यापार-वार्ता में कृषि क्षेत्र को व्यापारिक समझौतों से बाहर रखने की मांग भी कर रहे हैं.
किसान नेताओं ने स्पष्ट किया है कि यह आंदोलन केवल किसानों के अधिकारों की आवाज उठाने का मंच है और पूरी तरह शांतिपूर्ण होगा. किसान आंदोलन के मद्देलजर प्रशासन ने जंतर-मंतर और आसपास के इलाकों में पुलिस-बल तैनात कर दिये हैं और सुरक्षा व्यवस्था कड़ी कर दी है.
क्यों हुआ था पिछला किसान आंदोलन ?
पिछला किसान आंदोलन नवंबर 2020 से दिसंबर 2021 तक चला था, जो उस समय केंद्र सरकार द्वारा लाए गए तीन कृषि कानूनों के खिलाफ शुरू किया गया था. किसानों की चिंता थी कि ये तीनों कानून एमएसपी की गारंटी को कमजोर करने के साथ मंडी व्यवस्था को खत्म कर देंगे और उन्हें कॉर्पोरेट पर निर्भर बना देंगे.यह आंदोलन राष्ट्रीय स्तर पर फैल गया था.
अंततः नवंबर 2021 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा इन तीनों कृषि कानूनों को वापस लेने की घोषणा और दिसंबर 2021 में संसद द्वारा इन्हें रद्द करने के साथ , यह आंदोलन खत्म कर दिया गया था.