नई दिल्ली। देश के पूर्व उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़, जिन्होंने जुलाई में स्वास्थ्य कारणों से अपने पद से इस्तीफा दिया था, एक बार फिर सुर्खियों में आ गए हैं. मीडिया से लंबे समय तक दूर रहने के बाद अब उन्होंने राजस्थान विधानसभा सचिवालय में बतौर पूर्व विधायक पेंशन बहाल करने के लिए आवेदन दिया है.
1993 से 1998 तक रहे किशनगढ़ से विधायक
जगदीप धनखड़ वर्ष 1993 से 1998 तक राजस्थान की किशनगढ़ विधानसभा सीट से विधायक रहे थे. बतौर पूर्व विधायक उन्हें जुलाई 2019 तक पेंशन मिलती रही, लेकिन पश्चिम बंगाल का राज्यपाल बनने के बाद यह रोक दी गई थी. अब सचिवालय ने उनके आवेदन के बाद प्रक्रिया शुरू कर दी है. पेंशन उस तारीख से लागू होगी, जब उन्होंने उपराष्ट्रपति पद छोड़ा है.
राजस्थान में पूर्व विधायकों को एक कार्यकाल पर 35,000 रुपये मासिक पेंशन मिलती है. उम्र और कार्यकाल के आधार पर इसमें बढ़ोतरी होती है. धनखड़ की उम्र 74 वर्ष है, ऐसे में उन्हें 20% अतिरिक्त लाभ मिलेगा और वह करीब 42,000 रुपये प्रतिमाह के हकदार होंगे.
धनखड़ को बतौर पूर्व उपराष्ट्रपति लगभग 2 लाख रुपये मासिक पेंशन, सरकारी बंगला, स्टाफ और चिकित्सकीय सुविधा मिल रही है. साथ ही बतौर पूर्व सांसद उन्हें 45,000 रुपये प्रतिमाह पेंशन मिलती है. अब पूर्व विधायक की पेंशन बहाल होने पर वे तीन अलग-अलग पेंशन के पात्र हो जाएंगे.
क्या कहता है पेंशन का प्रावधान?
भारत के संविधान में किसी जनप्रतिनिधि को एक से अधिक पेंशन देने का सीधा प्रावधान नहीं है. पेंशन का अधिकार अलग-अलग अधिनियमों और नियमों के तहत मिलता है. जैसे सांसदों की पेंशन The Members of Parliament Act, 1954 के तहत, विधायकों की पेंशन संबंधित राज्य के MLA Pension Rules/Acts के तहत, जबकि पूर्व राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति की पेंशन The President’s Emoluments and Pension Act, 1951 और The Vice-President’s Pension Act, 1997 के तहत मिलती है.