नई दिल्ली में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण की अध्यक्षता में बुधवार को जीएसटी काउंसिल की 56वीं बैठक शुरू हुई. इस दो दिवसीय बैठक में अगली पीढ़ी के जीएसटी सुधारों पर चर्चा हो रही है. सूत्रों के मुताबिक, बैठक में चार टैक्स स्लैब को घटाकर दो करने का प्रस्ताव रखा गया है, जिसके तहत 12% और 28% स्लैब हटाकर केवल 5% और 18% रखा जा सकता है. जबकि सिगरेट, तंबाकू और महंगी गाड़ियों जैसे हानिकारक व विलासिता वाली वस्तुओं पर 40% का विशेष स्लैब बनाए जाने की संभावना है.
विपक्षी राज्यों की चिंता और मुआवजे की मांग
बैठक में विपक्ष शासित राज्यों – कर्नाटक, केरल, पंजाब, तमिलनाडु, तेलंगाना, पश्चिम बंगाल समेत कई राज्यों ने मांग की कि जीएसटी सुधारों का लाभ सीधे उपभोक्ताओं तक पहुंचे, न कि केवल कंपनियों तक. साथ ही राज्यों के राजस्व नुकसान की भरपाई के लिए स्पष्ट मुआवजा योजना बनाई जाए. कुछ भाजपा शासित राज्यों ने भी राजस्व घाटे को लेकर चिंता जताई है.
विशेषज्ञों का मानना है कि सुधारों से उपभोग आधारित राज्यों को फायदा हो सकता है, जबकि पंजाब और बिहार जैसे भारी कर्ज वाले राज्यों पर नकारात्मक असर पड़ेगा. अनुमान है कि अगर मुआवजे की व्यवस्था नहीं की गई तो राज्यों को 2 लाख करोड़ रुपये तक का नुकसान हो सकता है.
ये वस्तुएं हो सकती हैं सस्ती
जीएसटी रेट्स में संभावित कटौती से 175 से अधिक वस्तुएं और सेवाएं सस्ती हो सकती हैं, जिनमें दवाइयां, बीमा, इलेक्ट्रॉनिक उपकरण, कृषि उपकरण, शिक्षा सेवाएं और रोजमर्रा के सामान शामिल हैं। इससे आम उपभोक्ताओं के जीवन में बड़ा बदलाव आने की उम्मीद है.
इसके साथ ही, विशेषज्ञों का कहना है कि इन सुधारों से न केवल खपत बढ़ेगी बल्कि मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर को भी बढ़ावा मिलेगा. सरकार का लक्ष्य है कि नए जीएसटी ढांचे से कारोबार करने की प्रक्रिया सरल हो और कर प्रणाली पारदर्शी बने. हालांकि, इसके लिए केंद्र और राज्यों के बीच राजस्व संतुलन बनाए रखना बड़ी चुनौती होगी.