नई दिल्ली – पिछले कुछ समय से चुनाव आयोग पर ‘वोट चोरी’ और SIR प्रक्रिया के ज़रिए धांधली के लग रहे गंभीर आरोपों के बीच, भारत के चुनाव आयोग ने रविवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस कर अपना पक्ष रखा. प्रेस कॉन्फ्रेंस में मुख्य चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार के साथ इलेक्शन कमिश्नर डॉ. विवेक जोशी और सुखबीर सिंह संधु सहित आयोग के वरिष्ठ अधिकारी मौजूद रहे.
मुख्य चुनाव आयुक्त ने कहा कि चुनाव आयोग देश के हर मतदाता के अधिकार की रक्षा के लिए प्रतिबद्ध है और आयोग पर लगाए गए सभी आरोप निराधार हैं. उन्होंने कहा, “हम पर आरोप लगाए जा रहे हैं, लेकिन चुनाव आयोग हर एक मतदाता के साथ दृढ़ता से खड़ा है और पूरी पारदर्शिता के साथ अपना काम कर रहा है.”
पत्रकारों के सवालों का जवाब देते हुए ज्ञानेश कुमार ने मशीन रीडेबल मतदाता सूची जारी न करने, मकान नंबर ‘शून्य’ दिखने और EPIC नंबर डुप्लिकेट होने जैसे मुद्दों पर भी सफाई दी. उन्होंने कहा कि मशीन रीडेबल लिस्ट सार्वजनिक करने से मतदाताओं की निजता को खतरा हो सकता है, इसलिए इसे जारी नहीं किया जाता. मकान नंबर ‘शून्य’ उन नागरिकों के लिए दर्ज किया जाता है जिनका स्थायी पता नहीं है, लेकिन नागरिक अधिकारों के तहत उन्हें वोट देने से वंचित नहीं किया जा सकता. वहीं EPIC नंबर के डुप्लिकेट होने के सवाल पर उन्होंने कहा कि यह महज तकनीकी मामला है और इसका वोट चोरी से कोई संबंध नहीं है.
चुनाव आयोग ने यह भी स्पष्ट किया कि अगस्त के बाद से अब तक किसी भी राजनीतिक दल ने आधिकारिक रूप से मतदाता सूची में आपत्ति दर्ज नहीं कराई है. आयोग ने सभी मान्यता प्राप्त राजनीतिक दलों से अपील की है कि 1 सितंबर से पहले सूची में मौजूद त्रुटियों संबंधी आपत्तियां दर्ज कराएं ताकि समय रहते सुधार किया जा सके.
आयोग ने एक बार फिर दोहराया कि मतदाता सूची को शुद्ध करना केवल चुनाव आयोग की नहीं, बल्कि सभी राजनीतिक दलों की साझा जिम्मेदारी है.