हाल में असम सरकार के अदाणी ग्रुप को सीमेंट फैक्ट्री लगाने के लिए क्षेत्र की 3000 बीघा जमीन देने के फैसले से सियासत गरमा गई है. हालांकि पहले भी विपक्ष बीजेपी सरकार पर अदाणी ग्रुप को लेकर आरोप लगाता रहा है, लेकिन सीमेंट फैक्ट्री को जमीन देने का मामला तूल पकड़ रहा है.
जल-जंगल-जमीन और आदिवासी अस्मिता का सवाल
जमीन देने का मामले को लेकर स्थानीय आदिवासी व जनजातीय समुदायों में भी नाराजगी दिख रही है. उनका आरोप है कि जमीन देने से पहले स्थानीय लोगों से कोई सहमति नहीं ली गई और जमीन अदाणी ग्रुप को स्थानांतरित दी गई.
असम के आदिवासी संगठनों का कहना है कि सरकार का यह फैसला संविधान की छठी अनुसूची व आदिवासी अधिकारों का उल्लंघन करता है. जमीन स्थानान्तरण के इस फैसले से हजारों परिवार विस्थापित होने के लिए मजबूर होंगे. आदिवासी संगठन इस तरह जमीन प्राइवेट कंपनियों के हाथों में सौंपने के निर्णय को सीधे तौर पर आदिवासियों के अधिकारों और आजीविका पर हमला के रूप में देख रहे हैं.
‘क्या मजाक है? आप पूरा जिला दे रहे हैं?’- हाईकोर्ट
इस बीच सोशल मीडिया पर एक वीडियो तेजी से वायरल हो रहा है, जो गुवाहाटी हाईकोर्ट का है, और इस मामले से जुड़ा हुआ बताया जा रहा है. इसमें देखा जा सकता है कि मामले की सुनवाई के दौरान पीठासीन न्यायाधीश जमीन का एरिया सुनकर चौंक उठे और कहने लगे ‘क्या मजाक है? आप पूरा जिला दे रहे हैं?’
विपक्ष का हमला
विपक्ष ने हिमंत बिस्वा सरमा की बीजेपी सरकार पर सिर्फ कॉर्पोरेट के हितों का विशेष लाभ देने का आरोप लगाया. है. उनका कहना है कि सरकार को आम लोगों से कोई लेना-देना नहीं है. पूर्व केंद्रीय मंत्री और कांग्रेस नेता जितेंद्र सिंह अलवर ने एक्स पर लिखा कि ‘ भ्रष्टाचार और कॉर्पोरेट असम पर शासन कर रहा है. हिमंत बिस्वा सरमा की बीजेपी असम की भूमि अडाणी को उपहार में दे रही है और लोगों को धोखा दे रही है. असम को लूटना बंद करो, हिमंत.’
असम में अगले साल विधानसभा के चुनाव होने है. ऐसे में साफ दिख रहा है कि विपक्ष इस मामले को मुद्दा बनाएंगा.