उत्तर प्रदेश में परिवहन विभाग ने एक बड़ा और राहत भरा फैसला लिया है. अब राज्य में साल 2017 से 2021 के बीच जो भी लाखों ई-चालान बने थे, वोकानून के तहत खुद ही खत्म कर जाएंगे. मतलब ये कि जिन चालानों को लेकर अदालतों में केस चल रहे थे या जिन पर कोई कार्रवाई नहीं हो सकी और अब उनकी मियाद भी खत्म हो चुकी है. वो सारे चालान अब वैध नहीं माने जाएंगे.
इस नए फैसले के बाद अब गाड़ियों से जुड़ी कई ज़रूरी सेवाओं पर से रोक हट जाएगी. जैसे कि गाड़ी की फिटनेस बनवाना, परमिट लेना, गाड़ी का ट्रांसफर कराना या फिर हाई सिक्योरिटी नंबर प्लेट (HSRP) लगवाना. पहले जिन वाहन मालिकों के ऊपर पुराने ई-चालान बकाया थे. उन्हें ये सारी सेवाएं लेने में काफी दिक्कत आती थी. लेकिन अब उन पुराने चालानों को रद्द मान लिया जाएगा.
क्या है इस फैसले के पीछे की वजह
परिवहन आयुक्त बृजेश नारायण सिंह के आदेश के अनुसार यह फैसला जनहित को ध्यान में रखते हुए लिया गया है. इसमें पारदर्शिता और कानून का पालन सुनिश्चित करना भी अहम वजह रही है. लंबे समय से कोर्ट में अटके हुए छोटे-मोटे ई-चालानों के कारण न केवल न्याय व्यवस्था पर दबाव बढ़ रहा था, बल्कि वसूली की संभावना भी अब ना के बराबर थी. हाई कोर्ट ने भी अपने कुछ आदेशों में साफ कहा कि ऐसे पुराने ई-चालानों को “कानून के तहत समाप्त” मान लिया जाए.
कौन होंगे इस आदेश के दायरे से बाहर?
सरकार ने जो ई-चालान माफ करने का फैसला लिया है, वो सिर्फ ट्रैफिक से जुड़े मामूली मामलों पर लागू होगा. यानी अगर किसी गाड़ी मालिक ने मोटर व्हीकल टैक्स नहीं भरा है या टैक्स से जुड़ा कोई मामला है, तो उस पर यह राहत नहीं मिलेगी. ऐसे मामलों में कार्रवाई पहले की तरह चलती रहेगी इसी तरह अगर किसी व्यक्ति ने शराब पीकर गाड़ी चलाई हो, या फिर गाड़ी चलाते वक्त कोई गंभीर हादसा हुआ हो, तो वो भी इस योजना से बाहर रखा गया है. ऐसे केस, जो आईपीसी की धाराओं में आते हैं और जिनमें गम्भीरता होती है. उन्हें खत्म नहीं किया जाएगा.