बीते सोमवार को 60 मुस्लिम देशों ने कतर में बैठक की. इस समिट में इजरायल के खिलाफ प्रस्ताव पास हुआ और यूएन में फिलिस्तीन को अंतरराष्ट्रीय मान्यता देने वाले देशों की संख्या बढ़ाने के लिए भी प्रस्ताव लाने पर चर्चा हुई. अरब देशों की इजरायल के खिलाफ लामबंदी अचानक नहीं हुई है. दरअसल गाजा से शुरू हुए संघर्ष के दौरान इजरायल कई अरब देशों पर हमला कर चुका है. हाल ही उसने कतर पर भी हमला किया था. जिसके बाद मुस्लिम देश अब इजरायल के खिलाफ एकजुट हो रहे हैं.
इस समिट को देखते हुए अब सबसे बड़ा खतरा अब्राहम अकॉर्ड को लेकर है. माना जा रहा है कि 2020 में हुए अब्राहम अकॉर्ड के अंत की तारीख नजदीक है. क्योंकि जिस तरह से इजरायल आक्रामक रवैया अपनाए हुए है उसे देखते हुए अरब देश अब एकजुट होकर इजरायल पर लगाम लगाने की कोशिश कर सकते हैं.
वहीं ग़ज़ा सिटी में इज़राइल द्वारा किए गए भीषण हवाई हमलों के चलते शहर में चारों तरफ तबाही का मंजर है. इज़राइली सेना ने सोमवार देर रात उत्तरी और पश्चिमी इलाकों को निशाना बनाते हुए कई घनी आबादी वाली इमारतों पर बमबारी की. इस दौरान ग़ज़ा की सबसे ऊंची आवासीय इमारत, “अल-घाफ़री हाई-राइज़” भी मलबे में तब्दील हो गई.
स्वास्थ्य मंत्रालय के मुताबिक़, बीते 24 घंटों में कम से कम 51 लोगों की मौत हो गई है, जिनमें दो छह वर्षीय जुड़वां बच्चे भी शामिल हैं. इसके अलावा तीन पत्रकारों की भी जान गई है.
गाजा के ज़ैतून इलाक़े में हालात और भी भयावह हैं. अगस्त से अब तक इस क्षेत्र में 1,500 से अधिक मकान और इमारतें पूरी तरह तबाह की जा चुकी हैं. इजरायली हमले को देखते हुए नागरिकों को पलायन का आदेश दिया गया है. इजरायली सेना ने दक्षिणी ग़ाजा स्थित अल-मवासी क्षेत्र को “सुरक्षित ज़ोन” घोषित किया है, लेकिन वहां न तो पीने का पानी है, न खाना, न दवाइयां. गाजा में हर तरफ मानवीय संकट दिखाई दे रहा है.
गाजा इजरायल के संघर्ष में अब तक युद्ध रोकने के किसी भी प्रयास को सफलता नहीं मिली है. अब 60 मुस्लिम देशों का एक मंच पर आना इस संघर्ष को बढ़ा सकता है. फिलहाल अब्राहम अकॉर्ड अगर टूटता है सबसे पहला असर व्यापार पर पड़ेगा. और अगर इजरायल गाजा संघर्ष नहीं रूका तो आने वाले समय में ये बड़े संघर्ष का रूप ले लेगा.