सुप्रीम कोर्ट ने गुजरात के जामनगर स्थित वनतारा जूलॉजिकल रेस्क्यू एंड रिहैबिलिटेशन सेंटर को बड़ी राहत देते हुए विशेष जांच टीम (SIT) की रिपोर्ट के बाद क्लीन चिट दे दी है. जस्टिस पंकज मिठाल और जस्टिस पी.बी. वाराले की बेंच ने कहा कि वनतारा पूरी तरह से कानूनों का पालन कर रहा है और इसे “बदनाम नहीं किया जाना चाहिए.” कोर्ट ने SIT की रिपोर्ट को रिकॉर्ड पर लेते हुए कहा कि वह विस्तृत विश्लेषण के बाद जल्द ही आदेश पारित करेगा.
सुप्रीम कोर्ट ने 25 अगस्त को वनतारा के खिलाफ कथित अनियमितताओं की जांच के लिए पूर्व जज की अध्यक्षता में चार सदस्यीय SIT गठित की थी. जांच की शुरुआत उन जनहित याचिकाओं के आधार पर हुई थी, जिनमें विदेशी और भारतीय हाथियों की खरीद में कानून उल्लंघन के आरोप लगाए गए थे. हालांकि SIT की रिपोर्ट में वनतारा के संचालन को पूरी तरह पारदर्शी और कानूनी प्रावधानों के अनुरूप पाया गया.
वनतारा: संरक्षण की नई मिसाल
रिलायंस फाउंडेशन और अनंत अंबानी की पहल पर स्थापित वनतारा 3,000 एकड़ में फैला दुनिया का सबसे बड़ा निजी वन्यजीव बचाव केंद्र है. यहां अत्याधुनिक बाड़े, हाइड्रोथेरेपी पूल और हाथियों के लिए विशेष जकूज़ी जैसी सुविधाएं मौजूद हैं. इसका उद्देश्य जानवरों को सुरक्षित और वैज्ञानिक माहौल में पुनर्वास प्रदान करना है.
विशेषज्ञों का मानना है कि सुप्रीम कोर्ट का यह निर्णय न केवल वनतारा की विश्वसनीयता को मजबूत करेगा, बल्कि निजी क्षेत्र की ऐसी पहलों के लिए भी मिसाल बनेगा जो वन्यजीव और जैव विविधता संरक्षण को बढ़ावा देती हैं. यह फैसला भविष्य में अन्य राज्यों और संगठनों को भी प्रेरित कर सकता है.