रविवार को दुबई में आयोजित भारत और पाकिस्तान के क्रिकेट मैच में भारत ने भले ही जीत हासिल कर ली हो, लेकिन पूरे देश में इस मैच को लेकर ना तो उत्साह दिखा और ना ही खुशी. असल में पहलगाम आतंकी हमला और ऑपरेशन सिंदूर को लेकर देश में एक बड़ा वर्ग एशिया कप में पाकिस्तान से मैच खेलने का विरोध कर रहा था. यहां तक कि पहलगाम हमले में शहीद हुए शुभम द्विवेदी की पत्नी ने एशान्या ने भी इस मैच को लेकर आपत्ति जताई थी.
हालांकि सरकार का तर्क था कि जब कोई इंटरनेशनल टूर्नामेंट हो रहा होता है तो मैच का बहिष्कार करना मुश्किल होता है. लेकिन इतिहास में देखें तो भारत ऐसा कर चुका है. वो एक नहीं बल्कि कई बार अपनी नीतियों और सिद्धांतों के चलते इंटरनेशनल टूर्नामेंट का बहिष्कार कर चुका है.
कब कब भारत ने किया बहिष्कार?
1974 में रंगभेद के विरोध में भारत ने दक्षिण अफ्रीका में आयोजित डेविस कप के फाइनल का बहिष्कार किया था. हालांकि भारत के जितने के काफी चांस थे.
1986 में भारत ने श्रीलंका में आयोजित क्रिकेट एशिया कप का विरोध किया था. तब तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी के कहने पर बीसीसीआई ने इस टूर्नामेंट में भाग नहीं लिया था. सरकार ने श्रीलंका में तमिलों के उपर हो रहे अत्याचार के विरोध में ये फैसला लिया था.
1986 में ही आयोजित कॉमनवेल्थ गेम्स का भी भारत ने बॉयकॉट किया था. इस बॉयकॉट के पीछे भी दक्षिण अफ्रिका में रंगभेद का विरोध था.
तो अतीत में भारत अपनी विदेश नीति और सिद्धांतों के चलते इंटरनेशनल टूर्नामेंट का बॉयकॉट कर चुका है. दुबई में चल रहे एशिया कप में भारत और पाकिस्तान के बीच हालांकि खेल तो जरूर हुआ लेकिन तल्खी भी दिखी. मैच पर पहलगाम हमला, ऑपरेशन सिंदूर और भारत के लोगों की नाराजगी महसूस हुई.