नेपाल की सियासत में अब बड़ा बदलाव होने जा रहा है. कई दिनों से चल रहे हिंसक प्रदर्शनों और भीषण अराजकता के बीच प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली की सरकार के गिरने के बाद अब देश के हालात संभालने की कमान सेना ने अपने हाथों में ले ली है. माना जा रहा है कि बांग्लादेश की तर्ज पर अब नेपाल में भी नई शासन व्यवस्था लागू होगी. लेकिन सत्ता के दावेदारों में सियासी दांव पेंच भी चल रहा है. सुशीला कार्की को भले ही सबसे प्रबल दावेदार माना जा रहा हो लेकिन आंदोलन के अगुआ बालेन्द्र शाह के समर्थक उन्हे ही प्रधानमंत्री बनाना चाह रहे हैं. ऐसे में खिंचतान चलने की उम्मीद है.
किसके हाथों होगी सत्ता की कमान ?
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक सेना प्रमुख जनरल अशोक राज सिग्देल ने नेपाल की पूर्व मुख्य न्यायाधीश रहीं सुशीला कार्की को अंतरिम कार्यकारी प्रमुख बनने के लिए तैयार कर लिया है. सूत्रों के अनुसार, जनरल सिग्देल ने देर रात तक Gen Z आंदोलन के नेताओं और अन्य प्रमुख लोगों से बातचीत के बाद ये फैसला लिया है. अंतत: कार्की ने लगभग 15 घंटे तक चले विचार-विमर्श के बाद जिम्मेदारी संभालने पर अपनी सहमति दी.
वहीं नेपाल की कमान संभालने के लिए प्रदर्शनकारियों का एक गुट काठमांडू के मेयर बालेन्द्र शाह के नाम का भी समर्थन दे रहा है. हालांकि बालेन्द्र शाह ने भी सुशीला कार्की का समर्थन करते हुए कहा है कि वे इस पद के लिए सबसे उपयुक्त हैं. हालांकि उनके समर्थकों की मांग उनसे अलग है.
नेपाल की सेना ने क्या कहा ?
फिलहाल नेपाल की सेना का कहना है कि अभी उनकी प्राथमिकता देश में सुरक्षा और कानून-व्यवस्था बहाल करने की है. इसके साथ ही उनका प्रयास रहेगा कि वे जल्द से जल्द अराजकता रोकें और सभी राजनीतिक दलों व युवा समूहों को संवाद की मेज पर लाएं.
कब बनेगी अंतरिम सरकार ?
सूत्रों के मुताबिक नेपाल में गुरुवार या शुक्रवार तक अंतरिम सरकार के गठन की संभावना जताई जा रही है. सुशीला कार्की, जो नेपाल की पहली महिला मुख्य न्यायाधीश रही हैं, अब इस संकट की घड़ी में नेतृत्व करेंगी. सेना चाहती है कि उनके नेतृत्व में देश में नई राजनीतिक दिशा और संभवतः एक नए संविधान की प्रक्रिया को आगे बढ़ाया जाए, क्योंकि मौजूदा संविधान को लगभग निष्प्रभावी माना जा रहा है. फिलहाल नेपाल एक बड़े राजनीतिक संकट के दौर से गुजर रहा है. उम्मीद है कि जल्द सत्ता की स्थिरता आएगी.