इन दिनों कांग्रेस नेता राहुल गांधी की बढ़ती लोकप्रियता के साथ उनकी मुश्किलें भी बढ़ती जा रहीं हैं. माना जा रहा है कि अब एक और कानूनी मामले में उनकी और कांग्रेस की मुश्किलें बढ़ने वाली हैं. कुछ लोगों ने इसे कांग्रेस पर शिकंजा कसने की बीजेपी की नई चाल के रूप में देखा है, जिसके बाद यह मुद्दा सियासी रंग ले चुका है.
क्या है मामला ?
हाल ही में ओडिशा पुलिस ने राजीव गांधी फाउंडेशन को नोटिस जारी की है. दरअसल कुछ समय पहले राहुल गांधी ने एक भाषण दिया था, जिसपर काफी विवाद हुआ था. इसके बाद इस मामले की जांच का फोकस अब राजीव गांधी फाउंडेशन पर आ चुका है, जिसमें फाउंडेशन की विदेशी फंडिंग की जांच की जा रही है.
फाउंडेशन पर आरोप है कि 2011 में आरजीएफ ने जाकिर नाइक से दान लिया था और 2005-06 में चीनी सरकार से 3 लाख डॉलर प्राप्त किए थे. इसके अलावा, पुलिस यह भी देख रही है कि क्या यूपीए सरकार के दौरान प्रधानमंत्री राहत कोष और वित्त मंत्रालय से फाउंडेशन को सीधे फंड ट्रांसफर हुए.
नोटिस में क्या है ?
झारसुगुड़ा पुलिस ने फाउंडेशन को नोटिस जारी कर 1991 से अब तक की पूरी विदेशी फंडिंग और वित्तीय रिकॉर्ड्स की जानकारी मांगी है. पुलिस ने आरजीएफ से सवाल किया है कि पिछले तीन दशकों में उसे कितनी विदेशी फंडिंग मिली, किस बैंक में जमा की गई, खातों के अधिकृत हस्ताक्षरकर्ता कौन हैं ? इसके साथ ही एफसीआरए लाइसेंस और ऑडिटर्स का पूरा ब्यौरा भी मांगा गया है. जांच टीम ने वर्ष वार डिटेल्स मांगी हैं और स्पष्ट चेतावनी दी है कि जवाब न मिलने पर कानूनी कार्रवाई की जाएगी.
नोटिस की समयसीमा और कानूनी चेतावनी
झारसुगुड़ा पुलिस ने आरजीएफ को 4 नवंबर तक जवाब देने का समय दिया है. साथ ही, फाउंडेशन के फाइनेंस डायरेक्टर को व्यक्तिगत रूप से पेश होने के लिए कहा गया है. नोटिस में साफ लिखा है कि आदेश की अवहेलना पर बीएनएस की धारा 210 के तहत कड़ी कानूनी कार्रवाई होगी.
राहुल गांधी के भाषण का क्या मामला था ?
यह मामला तब शुरू हुआ जब 15 जनवरी को कांग्रेस मुख्यालय के उद्घाटन समारोह में राहुल गांधी ने अपने भाषण के दौरान कहा कि “बीजेपी और आरएसएस ने हर संस्थान पर कब्जा कर लिया है, अब हम बीजेपी, आरएसएस और भारतीय राज्य से लड़ रहे हैं.”
उनके इस बयान पर बीजेपी समर्थकों ने शिकायत दर्ज कराई थी, जिसके बाद 7 फरवरी को झारसुगुड़ा पुलिस ने राहुल गांधी पर राहुल गांधी पर बीएनएस की धारा 152 (भारत की संप्रभुता और अखंडता को खतरा) और 197(1)(d) (देश की सुरक्षा को बाधित करने वाली भ्रामक जानकारी) के तहत केस दर्ज हुआ था.
इसके साथ ही अब राजनीतिक गलियारों में भी यह मुद्दा गर्मा चुका है. कुछ लोग इसे निष्पक्ष कार्रवाई के तौर पर देख रहें हैं तो, कुछ लोगों ने इसे आगामी चुनावों के मद्देनजर कांग्रेस और राहुल गांधी को फंसाने के लिए बीजेपी की नई चाल के रूप में देख रहे हैं.