9 सितंबर यानी मंगलवार को देश के अगले उपराष्ट्रपति का चुनाव होना है. वैसे तो ये चुनाव एक संवैधानिक पद के चयन का होता है, लेकिन इस बार परिस्थितियां कुछ ऐसी हैं कि एनडीए और इंडिया गठबंधन दोनों के लिए ये चुनाव जंग का रूप ले चुकी है. एनडीए और इंडिया गठबंधन दोनों अपनी-अपनी जीत के दावे कर रहे हैं मगर रणनीति, संख्या बल और संभावित क्रॉस वोटिंग की संभावना ने चुनाव से पहले ही सबका प्रेशर बढ़ा रखा है.
किसके पास है नंबर गेम?
NDA के पास लोकसभा के 293 और राज्यसभा के 132 सांसदों का समर्थन है. जबकि इंडिया गठबंधन के पास लोकसभा में 234 और राज्यसभा में 77 और कुछ अन्य दलों के सांसदों को मिला दें तो कुल संख्या 324 की है. जबकि जीत के लिए चाहिए 392 वोट चाहिए. इस लिहाज से एनडीए के उम्मीदवार सीपी राधाकृष्णन की जीत तय दिखती है. लेकिन राजनीति में जो दिखता है वो आमतौर पर बिलकुल नहीं होता. इंडिया गठबंधन को सांसदों की अंतरात्मा की आवाज पर भरोसा है. मतलब ये कि उन्हे उम्मीद है कि उपराष्ट्रपति के चुनाव में क्रॉस वोटिंग जरूर होगी.
क्यों उठ रही है क्रॉस वोटिंग की बात?
दरअसल क्रॉस वोटिंग को लेकर जो संभावनाएं जताई जा रही है उसके पीछे कई तर्क दिए जा रहे हैं. जिसमें सबसे महत्वपूर्ण हैं एनडीए के घटक दलों की अनिश्चित स्थिति. चंद्रबाबू नायडू को लेकर अटकलें लग रही है कि वो तेलुगु होने के नाते सुदर्शन रेड्डी का समर्थन कर सकते हैं. वहीं ये अनुमान भी लगाया जा रहा है कि बीजेपी के कुछ सांसद भी क्रॉस वोटिंग कर सकते हैं. इसके पीछे तर्क है कि उपराष्ट्रपति चुनाव से पहले बीजेपी के सांसदों के लिए डिनर का आयोजन किया गया था. पहले ये डिनर पार्टी जेपी नड्डा के घऱ होनी थी जो टल गई इसके बाद ये आयोजन पीएम मोदी के आवास पर होनी थी लेकिन इसे भी टाल दिया गया. क्योंकि कुछ जानकारों का कहना था कि इस डिनर में कुछ सांसद गैरहाजिर रह सकते हैं.
उपराष्ट्रपति के चुनाव में व्हीप जारी नहीं हो सकता. इसलिए क्रॉस वोटिंग पर चर्चा तेज है. बीजेपी में कुछ सांसदों की नाराजगी की बात भी चल रही है. वहीं बीजेडी और बीआरएस के 18 सांसद हैं. इन लोगों ने भी अभी तक नहीं कहा है कि ये किसे वोट देंगे. इसलिए सामान्य संख्या बल तो एनडीए के साथ दिख रहा है लेकिन असमंजस बना हुआ है.