प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 15 अगस्त को लाल किले की प्राचीर से लगातार बारहवीं बार देश को संबोधित किया. इस बार उनके भाषण का एक अंश ऐसा रहा जिसने सोशल मीडिया पर तीखी बहस को जन्म दे दिया है.
दरअसल, प्रधानमंत्री मोदी ने अपने संबोधन के दौरान राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) का उल्लेख करते हुए इसकी सौ वर्ष की यात्रा की सराहना की. उन्होंने कहा, “सेवा, समर्पण, संगठन और अप्रतिम अनुशासन इसकी पहचान रही है. ऐसा राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ दुनिया का सबसे बड़ा एनजीओ है. मैं आज यहां लाल किले के प्राचीर से सौ साल की इस राष्ट्रसेवा की यात्रा में योगदान करने वाले सभी स्वयंसेवकों को आदरपूर्वक स्मरण करता हूं… देश गर्व करता है. राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की इस सौ साल की भव्य, समर्पित यात्रा को और यह हमें प्रेरणा देता रहेगा.”
प्रधानमंत्री के इस बयान के बाद से सोशल मीडिया पर एक नया सियासी विवाद शुरू हो गया है. विपक्ष ने स्वतंत्रता दिवस जैसे राष्ट्रीय अवसर पर RSS की प्रशंसा करने को लेकर प्रधानमंत्री पर निशाना साधा है.
कांग्रेस प्रवक्ता सुप्रिया श्रीनेत ने एक्स ( Twitter) पर लिखा, “आज लाल क़िले की प्राचीर से RSS का नाम लेकर नरेंद्र मोदी ने सबसे ज़्यादा अपमान इस देश के लौहपुरुष और आज़ादी के महानायक सरदार पटेल का किया है. RSS वही संस्था है जिसे सरदार पटेल ने बैन किया था और कहा था कि यह देश विरोधी संस्था है. आज के दिन RSS का नाम लेकर आपने पाप किया है मोदी जी.”
ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन के अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी ने एक्स पर लिखा, “स्वतंत्रता दिवस के भाषण में आरएसएस का महिमामंडन करना स्वतंत्रता संग्राम का अपमान है. आरएसएस और उसके वैचारिक सहयोगियों ने अंग्रेजों का साथ दिया है. वे कभी आज़ादी की लड़ाई में शामिल नहीं हुए और अंग्रेजों का जितना विरोध किया, उससे कहीं ज़्यादा गांधी से नफ़रत करते थे.”
वहीं, राजनीतिक विश्लेषक डॉ. लक्ष्मण यादव ने सवाल उठाते हुए कहा कि “15 अगस्त 2025 को लाल किले की प्राचीर से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पहली बार खुलकर RSS की तारीफ की. यह सिर्फ स्वतंत्रता दिवस का भाषण नहीं था, बल्कि एक संकेत था कि अब सत्ता और विचारधारा के केंद्र में आरएसएस को स्थापित किया जा रहा है. जिस संगठन ने आज़ादी की लड़ाई से दूरी बनाई, तिरंगे और संविधान का विरोध किया, आज उसी को राष्ट्रनायक बना कर पेश किया जा रहा है. सवाल यह है कि क्या 100 साल बाद भारत का भविष्य अब RSS के मुताबिक तय होगा?”
प्रधानमंत्री की टिप्पणी पर छिड़ी यह बहस अभी और तेज होती दिखाई दे रही है.