डोनाल्ड ट्रंप प्रशासन ने 27 अगस्त से भारतीय उत्पादों पर 50% टैरिफ लागू कर दिया है. अमेरिका का आरोप है कि रूस से भारत के तेल आयात ने यूक्रेन युद्ध को और बढ़ावा दिया है, इसलिए यह अतिरिक्त 25% शुल्क लगाया गया है. इस फैसले से भारतीय छोटे उद्योगों पर गहरा असर पड़ा है. कई कंपनियां अब यूरोप, अफ्रीका और एशिया के नए बाजार तलाश रही हैं. राजन का कहना है कि यह भारत के लिए “वेक-अप कॉल” है, और हमें केवल एक देश पर निर्भर रहने की बजाय विविध बाजारों में अवसर खोजने होंगे. वहीं दूसरी ओर, भारतीय रिफाइनरियां रूसी तेल की खरीद को सितंबर में 10-20% तक बढ़ाने की योजना बना रही हैं, जिससे साफ है कि भारत अपने ऊर्जा हितों पर समझौता करने के मूड में नहीं है.
रघुराम राजन का सुझाव
भारतीय रिज़र्व बैंक के पूर्व गवर्नर रघुराम राजन ने अमेरिकी टैरिफ के झटके से निपटने के लिए अहम सुझाव दिया है. उनका कहना है कि सरकार को तेल रिफाइनरियों पर विंडफॉल टैक्स लगाना चाहिए. रियायती रूसी तेल से मुनाफा कमा रही रिफाइनरी कंपनियों से टैक्स वसूल कर उसे छोटे और मध्यम उद्योगों (SME) की मदद में लगाया जा सकता है. राजन ने लिंक्डइन पोस्ट में बताया कि खासतौर पर टेक्सटाइल और परिधान उद्योग अमेरिकी टैरिफ से बुरी तरह प्रभावित हो रहे हैं, जिन्हें तत्काल सहयोग की जरूरत है.