रविवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने मासिक रेडियो कार्यक्रम मन की बात के 125वें एपिसोड में देश को संबोधित करते हुए कई अहम मुद्दों पर चर्चा की. जम्मू-कश्मीर, ऑपरेशन पोलो और विश्वकर्मा जयंती के साथ ही उन्होंने सिविल सर्विस परीक्षा से जुड़े एक महत्वपूर्ण कदम – प्रतिभा सेतु – का जिक्र किया.
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि यूपीएससी परीक्षा में कई नौजवान बेहद कड़ी मेहनत कर सफलता हासिल करते हैं, लेकिन हजारों प्रतिभाशाली उम्मीदवार मामूली अंतर से अंतिम सूची में जगह नहीं बना पाते. ऐसे युवाओं के लिए सरकार ने प्रतिभा सेतु नामक डिजिटल प्लेटफॉर्म तैयार किया है, जिसमें 10 हजार से अधिक काबिल उम्मीदवारों का डेटाबैंक मौजूद है. मोदी के अनुसार, इस पोर्टल के माध्यम से प्राइवेट कंपनियां इन प्रतिभाशाली युवाओं को नौकरी देने में सक्षम होंगी.
आलोचनाएँ और चिंताएँ भी सामने आईं
हालाँकि, इस योजना को लेकर कई सवाल खड़े हो रहे हैं। एक अभ्यर्थी द्वारा दायर की गई RTI के मुताबिक, पोर्टल लॉन्च होने के बाद से अब तक किसी भी उम्मीदवार को नौकरी का ऑफर नहीं मिला है. कई उम्मीदवार इसे केवल “अस्थायी समाधान” मान रहे हैं, क्योंकि जिनके पास यूपीएससी के अटेम्प्ट बाकी रहते हैं, वे प्राइवेट सेक्टर की नौकरियों में रुचि नहीं दिखाते.
साथ ही, पारदर्शिता की कमी भी इस पोर्टल की बड़ी चुनौती है. अब तक यह साफ नहीं है कि कितनी कंपनियां इससे जुड़ी हैं, कितने इंटरव्यू हुए या कितनी नौकरियां दी गईं.
पहले भी रही थी ऐसी योजना
गौरतलब है कि 2018 से पहले यह योजना पब्लिक डिस्क्लोज़र स्कीम (PDS) के नाम से मौजूद थी. लेकिन तब भी उम्मीदवारों और नियोक्ताओं में इसकी जानकारी और जागरूकता बेहद कम थी. यही कारण है कि अब भी आशंका जताई जा रही है कि यदि सरकार ने इसे प्रभावी ढंग से लागू नहीं किया तो प्रतिभा सेतु भी “सिर्फ एक और निष्क्रिय पोर्टल” बनकर रह जाएगा.