नई दिल्ली: अमेरिका की टैरिफ नीति का असर अब तमाम सेक्टरों के साथ साथ रुपये के मूल्य पर भी दिखने लगा है. अमेरिकी डॉलर के मुकाबले रुपये की कीमतों में लगातार गिरावट देखी जा रही है. 30 अगस्त 2025 को रुपया इतिहास के सबसे निचले स्तर पर पहुंच चुका है.
विदेशी मुद्रा बाजार में 1 डॉलर की कीमत लगभग ₹88.1 दर्ज की गई, जबकि एक दिन पहले यानी 29 अगस्त को यह दर लगभग ₹87.7 थी. इससे साफ है कि डॉलर के आगे रुपया कमजोर होता जा रहा है.
अगस्त महीने की शुरुआत में रुपये की स्थिति अपेक्षाकृत स्थिर थी और 1 अगस्त से 26 अगस्त यानि 50 फीसदी अमेरिकी टैरिफ लागू होने से पहले डॉलर के मुकाबले रुपया औसतन ₹87.44 पर बना रहा था. हालांकि रुपये का ये मूल्य भी इतिहास का सर्वाधिक ही था. पर टैरिफ लगने के बाद रुपये के गिरने की रफ्तार और तेज हुई है. शनिवार को यह इतिहास का सबसे निचले स्तर छूते हुए ₹88 के पार चला गया.
हाल ही में अमेरिका ने भारतीय वस्तुओं पर 25 फीसदी अतिरिक्त शुल्क लगा दिया, जिससे भारत का कुल टैरिफ बढ़कर 50 फीसदी हो गया है. इस फैसले ने निवेशकों और आयात-निर्यात कारोबारियों में चिंता पैदा कर दी है, जिससे विदेशी निवेशक भारतीय शेयर बाजार से पूंजी निकाल रहे हैं और रुपये की कीमत गिरती जा रही है.
आर्थिक विशेषज्ञों का मानना है कि यदि जल्द ही कोई ठोस समाधान नहीं निकला तो रुपये में और कमजोरी आ सकती है. रिज़र्व बैंक द्वारा हस्तक्षेप की संभावना जताई जा रही है, लेकिन डॉलर की लगातार बढ़त और वैश्विक व्यापार में तनाव के कारण भारतीय मुद्रा को स्थिर करना चुनौती जैसी है.
रुपये के मूल्य गिरने से क्या असर होगा?
रुपये के लगातार गिरने से आयात होने वाली वस्तूएं का मूल्य बढ़ जाएगा. जिससे आम लोगों को महंगाई का सामना करना पड़ सकता है. खुदरा कीमतें बढ़ सकती है. विदेशों में शिक्षा महंगी हो जाएगी. हालांकि भारत जिन वस्तुओं का निर्यात करता है उस सेक्टर में डॉलर के मजबूत होने का फायदा हो सकता था लेकिन टैरिफ के चलते अमेरिका से निर्यात पर पहले से ही संशय चल रहा है.
कांग्रेस की प्रवक्ता सुप्रिया श्रीनेत ने डॉलर के मुकाबले रुपये गिरते मूल्य को लेकर पीएम मोदी पर तंज कसा. उन्होने सोशल मीडिया साइट एक्स पर लिखा कि ‘पता नहीं प्रधानमंत्री की प्रतिष्ठा किस गहरे गड्ढे में जाकर गिरेगी?, खुद ही कहते थे जैसे जैसे रुपया गिरता है प्रधानमंत्री की प्रतिष्ठा गिरती है’.
दरअसल पूर्व प्रधानमंत्री मननोहन सिंह के कार्यकाल के आखिरी समय यानी मार्च 2014 के वक्त डॉलर के मुकाबले रुपये की कीमत लगभग 59.6 के आस पास थी. जिस पर उस वक्त की विपक्ष उनकी काफी आलोचना करता था.