अमेरिका द्वारा भारत पर लगाए गए 50% टैरिफ का असर अब देश के अलग अलग हिस्सों में दिखाई देने लगा है. पहले जहां इसका सीधा प्रभाव सूरत, तिरुपुर और नोएडा जैसे प्रमुख औद्योगिक शहरों की टेक्सटाइल इंडस्ट्री पर दिखा. वहीं अब इसके नुकसान की सूची में मिर्जापुर और आगरा जैसे शहर भी जुड़ गए हैं. यहां के कालीन, मार्बल और चमड़ा उद्योग में काम ठप्प होने की आशंका बढ़ गई है.
कालीन कारोबार पर मंडराया संकट!
भारत के कालीन उद्योग में मिर्जापुर और भदोही का प्रमुख स्थान है. यहां से तैयार होने वाले कालीनों का लगभग 80 प्रतिशत निर्यात अमेरिका को किया जाता रहा है. जबकि बाकी 20 प्रतिशत माल रूस, यूरोपीय देशों, एशिया और अन्य बाजारों में भेजा जाता है. हाल ही में अमेरिका द्वारा घोषित 50 प्रतिशत टैरिफ के चलते इस क्षेत्र के कारोबारियों में गहरी चिंता है. कालीन निर्यात संवर्धन परिषद (CEPC) के पूर्व अध्यक्ष सिद्धनाथ सिंह के अनुसार इस टैरिफ का 50 से 60 प्रतिशत तक असर अमेरिका जाने वाले निर्यात पर पड़ेगा. उन्होंने कहा कि पहले ही रूस-यूक्रेन युद्ध के चलते एक्सपोर्ट प्रभावित हुआ था और अब इस टैरिफ के लागू होने से करीब 8000 से 9000 करोड़ रुपये तक का नुकसान हो सकता है.
निमन कॉरपेट के मैनेजिंग डायरेक्टर मोहम्मद जावेद खान ने कहा कि ‘शुक्रवार के दिन अमेरिका के कई बड़े कस्टमर्स ने अपने ऑर्डर को अस्थायी रूप से होल्ड कर दिया है. इन लोगों का कहना है कि जब तक टैरिफ की स्थिति स्पष्ट नहीं होती या इसमें कोई राहत नहीं मिलती वो नया ऑर्डर नहीं देंगे. इस फैसले का सबसे बड़ा असर उन मजदूरों पर पड़ेगा जो कालीन उद्योग से जुड़े हैं. उनके अनुसार, कालीन निर्माण के क्षेत्र में करीब 25 लाख से ज्यादा लोग जुड़े हैं. जिनमें से अधिकतर पढ़े-लिखे नहीं हैं. इस टैरिफ के कारण उनका रोजगार छिन सकता है और वे सड़क पर आ सकते हैं’.
ताज नगरी में भी छाई है मायूसी
बढ़े टैरिफ का असर अब आगरा के मार्बल और कारपेट कारोबार पर भी दिखने लगा है. यहां हजारों कारीगर और व्यापारी अमेरिका के ऑर्डर पर निर्भर थे. लेकिन बढ़े हुए टैक्स के कारण उनके लिए सामान महंगा हो जाएगा. जिससे अमेरिकी ग्राहक सस्ते देशों से खरीदारी कर सकते हैं. इससे स्थानीय लोगों की नौकरी और आमदनी पर असर पड़ सकता है. साथ ही टूरिज्म इंडस्ट्री भी प्रभावित हो सकती है. क्योंकि विदेशी टूरिस्ट कम खर्च करेंगे. कारोबारियों ने सरकार से मांग की है कि वह जल्दी इस मुद्दे पर अमेरिका से बात करें और कोई रास्ता निकाले.