बिहार में राहुल गांधी के नेतृत्व में चल रही इंडिया गठबंधन की ‘वोटर अधिकार यात्रा’ के शोर में गुम से हो गए जन सुराज पार्टी के संस्थापक प्रशांत किशोर एक बार फिर अपने बयान को लेकर फिर सुर्खियों में आ गये हैं.
अब तक जाति धर्म की लाइन से अलग होकर राजनीति करने का दावा करने वाले पीके ने मोतिहारी के बापू सभागार में आयोजित ‘मुस्लिम एकता सम्मेलन’ को संबोधित करते हुए कहा कि ‘हमें आप मुसलमानों का वोट नहीं साथ चाहिए. अगर 40 फीसदी हिंदू और 20 फीसदी मुसलमान एक साथ आ जाएं तो जन सुराज की जीत निश्चित है, अगर मुसलमान हमें सपोर्ट करते हैं तो हम बिहार में नीतीश कुमार और BJP को ही नहीं, बल्कि 2 साल बाद यूपी में योगी आदित्यनाथ को भी हरा देंगे’.
पीके इससे पहले भी मुस्लिम वोटबैंक अपनी ओर आकर्षित करने के लिए, मुसलमानों को उनकी आबादी के हिसाब से विधानसभा चुनाव में टिकट देने की घोषणा कर चुके हैं. अब तक बिहार में मुस्लिम समुदाय आरजेडी का पारंपरिक वोट-बैंक माना जाता रहा है. लेकिन पिछले विधानसभा चुनाव में खासकर सीमांचल के इलाकों में असदुद्दीन औवैसी की पार्टी ने आरजेडी को सत्ता से दूर रखने में बड़ी भूमिका निभाई थी. औवैसी की पार्टी ने 5 सीटें जीती थीं और 11 सीटों पर आरजेडी को हराने में अहम भूमिका निभाई थी. हालांकि इस बार राहुल गांधी की बढ़ती लोकप्रियता और उनके साथ तेजस्वी यादव की जोड़ी को देखते हुए सियासी पंड़ितों का भी मानना है कि इस बार के चुनाव में मुस्लिम वोटों में के बिखराव की आशंका मुश्किल है.
पीके ने बिहार में अपने चुनावी अभियान की शुरूआत नौकरी और पलायन जैसे मुद्दे के साथ की थी. लेकिन पीके अब अपनी ही लाइन से अलग होते दिख रहे है. ये पीके की रणनीति है या राहुल गांधी की यात्रा को मिल रहे समर्थन का दबाव? या फिर ‘ओवैसी पार्ट-2’ बनने की कवायद इसका आने वाले दिनों में ही खुलासा हो पाएगा.