पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज़ शरीफ़ ने भारत के खिलाफ तीखी बयानबाज़ी करते हुए कहा है,- “इस्लामाबाद, नई दिल्ली को अपने देश के पानी की एक बूँद भी नहीं लेने देगा.” उन्होंने अपने देश के वरिष्ठ नेताओं के साथ मिलकर यह टिप्पणी की, जिसे कई राजनीतिक विश्लेषक भारत-पाकिस्तान संबंधों में तनाव बढ़ाने वाला मान रहे हैं.
यह बयान ऐसे समय में आया है जब पाकिस्तान ने हाल ही में भारत से सिंधु जल संधि के सामान्य संचालन को बहाल करने का आग्रह किया था. यह संधि दोनों देशों के बीच नदी जल बंटवारे को लेकर एक अहम समझौता है, भारत ने मई से इस संधि के तहत होने वाली सामान्य प्रक्रियाओं को स्थगित कर रखा है, जिसके बाद से पाकिस्तान में चिंता और नाराज़गी बढ़ी है
विशेषज्ञों का मानना है कि पानी का मुद्दा भारत और पाकिस्तान के रिश्तों में पहले से मौजूद तनाव को और गहरा कर सकता है, जहां पाकिस्तान इस मुद्दे को अपने संसाधनों की सुरक्षा से जोड़ रहा है, वहीं भारत का रुख अब तक इस पर सख्त बना हुआ ह. आने वाले दिनों में यह मामला दोनों देशों के बीच कूटनीतिक टकराव को और बढ़ा सकता है.
पहलगाम हमले के बाद भारत का कड़ा रुख
22 अप्रैल को पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद भारत ने पकिस्तान के खिलाफ कई कड़े कदम उठाये, जिसमे 1960 की सिंधु जल संधि स्थगित करना भी शामिल है. भारत ने पाकिस्तान पर आरोप लागाया की इस हमले के पीछे मौजूद आतंकवादियों को उसने समर्थन दिया है.
सिंधु जल संधि जो 1960 की सिन्धु जल संधि के तहत भारत को व्यास, सतलुज, और रावी नदियों के पानी पर पूरा अधिकार है, जबकि पकिस्तान को सिंधु, झेलम और चिनाब नदियों का पानी मिलता है. अब भारत जम्मू-कश्मीर में चिनाब नदी पर अपनी सबसे बड़ी जलविद्युत परियोजना 1856 मेगावाट क्षमता वाली बनाने की तैयारी में है और इसके लिए पाकिस्तान की अनुमति लेना जरूरी नहीं है.
इस बीच, पाकिस्तान के मुनीर द्वारा दिए गए परमाणु युद्ध के बयान की भारत ने कड़ी निंदा की है. विदेश मंत्रालय ने कहा कि पाकिस्तान अक्सर परमाणु हथियारों की धमकी देता है और यह अफसोसजनक है कि इस तरह का बयान एक तीसरे मित्र देश की जमीन से दिया गया. यह घटनाक्रम भारत-पाकिस्तान संबंधों में पहले से मौजूद तनाव को और गहरा करता दिख रहा है.