कॉन्स्टिट्यूशन क्लब ऑफ इंडिया के सचिव पद के लिए हुए चुनाव का परिणाम घोषित हो चुका है. एक बार फिर बीजेपी सांसद राजीव प्रताप रूडी ने अपना दबदबा कायम रखते हुए संजीव बालियान को 100 से अधिक वोटों के अंतर से करारी शिकस्त दी. इस चुनाव में कुल 707 वोट पड़े थे जिसमें बालियान को 291 वोट मिले जबकि रूडी ने 391 वोटों के साथ शानदार जीत दर्ज की. पर इस चुनाव के नतीजों से ज्यादा दिलचस्प है इस चुनाव के बहाने बीजेपी की अंदरूनी उठापटक की चर्चा.
क्यों कहा जा रहा है रूडी की जीत को अमित शाह की हार ?
दरअसल संजीव बालियान को अमित शाह का प्रत्याशी माना जा रहा था, जबकि रूडी के बारे में चर्चा थी कि उन्हे योगी आदित्यनाथ कैंप का समर्थन मिला हुआ है. ऐसे में रूडी की इस जीत को योगी बनाम अमित शाह के एंगेल से भी जोड़ कर देखा जा रहा है. इससे पहले भी अमित शाह और योगी आदित्यनाथ के बीच खींचतान की खबरें आती रहीं हैं. जिससे इस धारणा की चर्चा तेज हो गई है.
ठाकुर बनाम जाट का असर दिखा चुनाव में ?
कॉन्स्टिट्यूशन क्लब ऑफ इंडिया के चुनाव को ठाकुर बनाम जाट पॉलिटिक्स का नाम भी दिया जा रहा है. इसका कारण बीते लोकसभा चुनाव को बताया जा रहा है. 2024 के लोकसभा चुनाव में पश्चिम यूपी में जाट बनाम ठाकुर की राजनीति देखने को मिली थी.
खासकर मुजफ्फरनगर, मेरठ जैसे क्षेत्रों में जाट समुदाय के संजीव बालियान और क्षत्रिय समुदाय से आने वाले संगीत सोम के बीच तनातनी सामने आई थी. उस समय जगह जगह क्षत्रिय महासभा ने पंचायत कर बीजेपी के खिलाफ लामबंदी की थी. जिसका असर लोकसभा के नतीजों पर भी पड़ा था.
विपक्ष क्यों रहा रूडी के साथ ?
इस चुनाव की खास बात ये रही कि इसमें विपक्षी सांसदों ने बड़ी संख्या में वोट डाले. कांग्रेस नेता सोनिया गांधी समेत बड़े विपक्षी नेता इस मौके पर उपस्थित रहे. माना जाता है कि विपक्षी सांसदों और पूर्व सांसदों का वोट भी रूडी के पाले में गया. क्योंकि रूडी को अमित शाह कैंप का नहीं माना जाता है. क्योंकि 2014 से वो लगातार सारण लोकसभा से चुनाव जीतते रहे हैं लेकिन 2017 के बाद वो केन्द्रीय मंत्रीमंडल से दूर ही हैं. इसलिए उन्हें विपक्षी सांसदो का एकजुट समर्थन मिला, जो अंतत: उनकी जीत का कारण बना.
क्या क्लब के चुनाव से सामने आई बीजेपी की अंदरूनी लड़ाई ?
पिछले कुछ समय से बीजेपी के नये अध्यक्ष का चुनाव भी नहीं हो पा रहा है. माना जा रहा है कि संघ और मोदी-शाह कैंप के बीच अध्यक्ष के नाम को लेकर सहमति नहीं बन पा रही है. समय समय पर शाह वर्सेज योगी की बात भी जोर पकड़ती रहती है. ऐसे में अब कॉन्स्टिट्यूशन क्लब ऑफ इंडिया का चुनाव. जिसमें जीत भले ही बीजेपी के नेता की हुई हो लेकिन हार भी बीजेपी के ही नेता की हुई है. फिलहाल सियासी चर्चाओं के लिए आधार तो दे ही रहा है.