कैश कांड में जस्टिस यशवंत वर्मा का नाम सामने आने के बाद, अब उच्च न्यायपालिका से जुड़े एक अन्य जज पर गंभीर आरोप लगाए गए हैं. हालांकि, आरोप लगाने वाले ने संबंधित जज का नाम सार्वजनिक नहीं किया है. मामले की गंभीरता को देखते हुए सुप्रीम कोर्ट ने इसकी जांच के आदेश दिए हैं.
किसने लगाए आरोप?
सूत्रों के अनुसार, एनसीएलएटी के सदस्य जस्टिस शरद कुमार शर्मा ने एक वरिष्ठ न्यायाधीश पर गंभीर आरोप लगाए हैं. उनका दावा है कि एक हाई कोर्ट के जज ने उनसे संपर्क किया था. यह संपर्क एक विशेष पक्षकार के पक्ष में फैसला सुनवाने के उद्देश्य से किया गया था.
यह आरोप सामने आने के बाद न्यायपालिका की निष्पक्षता और पारदर्शिता पर एक बार फिर सवाल खड़े हो गए हैं. हालांकि सुप्रीम कोर्ट की ओर से शुरू की गई जांच यह संकेत देती है कि शीर्ष अदालत इस मामले को हल्के में नहीं ले रही है.
किस केस से जुड़ा है मामला?
यह विवाद एक अपील से जुड़ा है जो वर्ष 2023 में दायर की गई थी. अपील में कॉरपोरेट दिवाला समाधान प्रक्रिया (CIRP) को मंजूरी देने के आदेश को चुनौती दी गई थी. याचिकाकर्ता ने संबंधित आदेश के खिलाफ एनसीएलएटी (नेशनल कंपनी लॉ अपीलेट ट्राइब्यूनल) में अपील दाखिल की थी.
चेन्नई बेंच के समक्ष आया मामला
मामला एनसीएलएटी की चेन्नई बेंच के समक्ष दो सदस्यीय पीठ में सुना गया. सुनवाई के दौरान ही यह विवाद तब खड़ा हुआ, जब जस्टिस शर्मा ने यह गंभीर दावा किया कि एक वरिष्ठ हाई कोर्ट जज ने उनसे संपर्क किया और एक खास पक्षकार के पक्ष में निर्णय देने के लिए दबाव डाला.
क्या है सुप्रीम कोर्ट की भूमिका?
इस तरह के आरोपों ने न्यायपालिका की निष्पक्षता को लेकर बहस छेड़ दी है. सुप्रीम कोर्ट ने मामले की गंभीरता को समझते हुए तत्काल जांच की प्रक्रिया शुरू कर दी है. यह कदम भारतीय न्याय प्रणाली की गरिमा और पारदर्शिता को बनाए रखने की दिशा में एक अहम प्रयास माना जा रहा है.