आज सोशल मीडिया राजनीतिक दलों के लिए अपने एजेंडे को सेट करने और जनाधार बढ़ाने का एक अहम मंच बन चुका हैं. यही कारण है कि लगभग सभी पार्टियां छोटी हो या बड़ी अपनी अपनी सोशल मीडिया टीम रखती है. जिसमें बकायदा सैलरी देकर प्रोफेशनल्स रखे जाते हैं. हालांकि भारतीय राजनीति में ये ट्रेंड शुरू करने का श्रेय बीजेपी को जाता है. चुनावी जीत में सोशल मीडिया कितनी अहम भूमिका निभा सकता है, इसका अहसास लोगों को तब हुआ था, जब बीजेपी 2014 में बहुमत के साथ सत्ता में आई थी. 2014 या उसके बाद भी बीजेपी को मिली सफलता में उसके सोशल मीडिया कैंपेन को महत्वपूर्ण कारक माना जाता है.
उस वक्त फेसबुक पर बीजेपी के ऑफ़िशयल पेज पर 36 लाख से अधिक फॉलोअर्स थे , जबकि कांग्रेस के लगभग 20 लाख फॉलोअर्स थे. 2013 में ट्विटर पर बीजेपी के 97 हजार से अधिक फॉलोवर्स थे तो कांग्रेस के सिर्फ 2.6 हजार तक ही सीमित थे. नतीजा यह रहा था कि सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर बीजेपी ने अपने नैरेटिव सेट किए और जमकर कैम्पेनिंग की. उसके मुकाबले कोई पार्टी नहीं टिक पाती थी. लेकिन क्या अब ये ट्रेंड बदलने लगा है?
इंस्टाग्राम पर कांग्रेस बनी पहली पसंद!

ये सवाल इसलिए महत्वपूर्ण हो गया है क्योंकि हाल ही में कांग्रेस न सिर्फ बीजेपी को टक्कर देती दिख रही है बल्कि कहीं कहीं आगे भी निकल चुकी है. पिछले 2-3 सालों से कांग्रेस भी सोशल मीडिया पर एग्रेसिव हो रही है. जिसका परिणाम ये रहा है हाल ही में कांग्रेस ने सोशल मीडिया साइट इंस्टाग्राम पर फॉलोवर्स के मामले में बीजेपी को पीछे छोड़ दिया है.

इंस्टाग्राम पर इस समय कांग्रेस के 8.9 मिलियन फॉलोवर्स हो गये हैं, जो तीन दिन पहले 8.5 मिलियन थे . इससे पता चल रहा है कि इंस्टाग्राम पर लोग तेजी से कांग्रेस से जुड़ रहे हैं . जबकि बीजेपी का इंस्टा अकाउंट इस समय-सीमा में 8.3 मिलियन फॉलोअर्स तक ही सीमित है.
आक्रामक कैंपेन का मिला कांग्रेस को फायदा ?
साल 2023 की बात है. राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा चल रही थी. इस यात्रा ने पूरे देश का ध्यान अपनी ओर खींचा था. पार्टी ने सोशल मीडिया पर भी जोरदार कैम्पेनिंग की थी. जब 2024 का लोकसभा चुनाव हो रहा था तब बीजेपी ने ‘अबकी बार 400 पार’ का नारा दिया. बीजेपी के ही कुछ नेताओं ने कहा था कि वो संविधान बदलने के लिए 400 से ज्यादा सीटें जीतने का लक्ष्य रख रहे हैं. कांग्रेस ने संविधान बदलने की बात को मुद्दा बनाया और आक्रामक प्रचार किया. जिसमें सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म की भूमिका अहम थी. इस कवायद का असर लोकसभा चुनाव के परिणाम पर भी दिखा. इंडिया अलायंस 234 सीट के साथ स्वतंत्र भारत के चुनावी इतिहास में सबसे बड़े विपक्ष के रूप में उभरा और बीजेपी को 2014 के बाद पहली बार गठबंधन की सरकार चलाने के लिए मजबूर होना पड़ा.
इंस्टाग्राम पर बढ़े फॉलोवर्स हों या कांग्रेस द्वारा चलाया जा रहा #VOTECHORI कैंपेन, इन दोनों के पीछे राहुल गांधी की बढ़ती स्वीकार्यता को कारण माना जा रहा है. इंस्टाग्राम जिसे यूथ का प्लेटफॉर्म माना जाता है, वहां कांग्रेस की बढ़त निश्चित तौर पर बीजेपी के लिए खतरे का बेल आइकन है.