केरल के मलप्पुरम से आई एक चौंकाने वाली खबर ने पूरे राज्य को चिंता में डाल दिया है. हाल ही में यहां एक महिला की मौत “ब्रेन-ईटिंग अमीबा” (Naegleria fowleri) संक्रमण से हुई है. यह वही खतरनाक अमीबा है जो गर्म और ताजे पानी में पनपता है और नाक के रास्ते शरीर में घुसकर सीधे दिमाग की कोशिकाओं को नष्ट कर देता है. शुरुआत में हल्के चक्कर और बुखार जैसे मामूली लक्षण दिखते हैं, लेकिन कुछ ही दिनों में यह तेज बुखार, कंपकंपी और बेहोशी तक पहुंच जाता है – और ज्यादातर मामलों में यह घातक साबित होता है.
70 से ज्यादा केस, 19 की मौत
साल 2024 से 2025 के बीच, केरल में इस संक्रमण के 70 से ज्यादा मामले सामने आए हैं, जिनमें 19 लोगों की मौत हो चुकी है. यह बीमारी किसी भी उम्र के व्यक्ति को अपनी चपेट में ले सकती है. सबसे ज्यादा खतरा उन इलाकों में है जहां कुएं, तालाब या बिना साफ किए गए स्विमिंग पूल का पानी इस्तेमाल किया जाता है. तैराकी या स्नान के दौरान जब संक्रमित पानी नाक में चला जाता है, तब यह अमीबा शरीर में प्रवेश करता है और तेजी से मस्तिष्क तक पहुंच जाता है.
संक्रमण और बचाव के तरीके
Naegleria fowleri से होने वाली बीमारी को प्राइमरी अमीबिक मेनिंगोएंसेफलाइटिस (PAM) कहा जाता है. यह इतनी तेज़ी से बढ़ती है कि 95% मामलों में जानलेवा साबित होती है.
बचाव के लिए स्वास्थ्य विभाग ने लोगों को साफ और सुरक्षित पानी इस्तेमाल करने, नाक में पानी जाने से बचने और कुओं-तालाबों की नियमित सफाई व क्लोरीनेशन करने की सलाह दी है. बच्चों को पानी में खेलने या स्प्रिंकलर से बचाने पर भी जोर दिया गया है. शुरुआती लक्षण जैसे तेज बुखार, सिरदर्द, मतली और बेहोशी दिखे तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करना जरूरी है.
राज्य सरकार अब तक 2.7 मिलियन से ज्यादा कुओं की क्लोरीनेशन करा चुकी है और तालाबों के आसपास सुरक्षा उपाय बढ़ा रही है. लोगों को सख्त हिदायत दी गई है कि केवल उबला या फिल्टर किया हुआ पानी ही इस्तेमाल करें.
जलवायु परिवर्तन ने बढ़ाई समस्या
विशेषज्ञ मानते हैं कि बढ़ते तापमान और जल प्रदूषण ने इस अमीबा के लिए और अनुकूल हालात बना दिए हैं. पानी का तापमान सिर्फ एक डिग्री बढ़ने पर भी यह तेजी से फैल सकता है. यही वजह है कि इसका खतरा अब सिर्फ केरल तक सीमित नहीं है, बल्कि भारत के अन्य राज्यों और पड़ोसी देशों में भी फैलने की आशंका है.
सलाह :
ब्रेन-ईटिंग अमीबा अब कोई दुर्लभ बीमारी नहीं रह गया है, बल्कि एक गंभीर पब्लिक हेल्थ इमरजेंसी बन चुका है. साफ पानी का इस्तेमाल, जागरूकता और समय पर इलाज ही इससे बचाव का सबसे कारगर तरीका है. याद रखें – नाक में संक्रमित पानी जाने से बचना ही सबसे बड़ी सुरक्षा है.