
देशभर में 79वें स्वतंत्रता दिवस के जश्न के बीच, भारत के पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस मंत्रालय के एक्स हैंडल के एक पोस्ट से सोशल मीडिया पर बवाल मच गया. पेट्रोलियम मंत्रालय ने 15 अगस्त पर स्वतंत्रता दिवस की बधाई देते हुए ऑफिशियल एक्स अकाउंट से एक पोस्टर ट्वीट किया. जिसे लेकर लोगों में तीखी बहस छिड़ गयी है.
दरअसल पोस्टर में महात्मा गांधी, सुभाष चन्द्र बोस और भगत सिंह के साथ विनायक दामोदर सावरकर की फोटो भी देखी जा सकती है. पोस्टर में विनायक दामोदर सावरकर को इन सभी से ऊपर दिखाया गया है. जिसको लेकर सोशल मीडिया के तमाम यूजर्स और विपक्ष ने पेट्रोलियम मंत्रालय पर सवाल खड़ा किया.
कांग्रेस नेता पवन खेड़ा ने पेट्रोलियम मंत्रालय पर निशाना साधते हुए अपने एक्स पोस्ट पर लिखा कि ‘पेट्रोल में इथेनॉल की मिलावट करते-करते अब आप स्वतंत्रता सेनानियों में भी मिलावट करने लग गए. जो इतिहास में बड़े नहीं बन सके, उन्हे पोस्टर में बड़ा बना रहे हो. देश आपसे सस्ता तेल मांग रहा है, सस्ती कॉमेडी नहीं’.
दरअसल आजादी की लड़ाई में सावरकर की भूमिका को लेकर देश में कभी भी एक राय नहीं रही है. एक पक्ष सावरकर को देशभक्त मानता है तो दूसरा पक्ष सावरकर द्वारा अंग्रेज सरकार से माफी मांगने की बात कह कर उन्हे खारिज करता है.
वरिष्ठ पत्रकार रवीश कुमार ने इसे मुद्दे से भटकाने वाला पोस्ट करार देते हुए एक्स पर लिखा कि ‘लगता है जानबूझकर ऐसा किया जाता है ताकि इसी पर बहस हो. इस पर बहस न हो कि रुस से सस्ते तेल के आयात का लाभ जनता को क्यों नहीं मिला? उसे 95 रुपया लीटर पेट्रोल देकर बहस का मुद्दा पकड़ा दिया जाता है. कौन ग़ायब है और कौन हाज़िर है. इसी में 11 साल निकल गए. ज़रा यह भी उसी साहस से बता दें कि रुस के तेल से अरबपति कौन बना और कंगाल कौन’.
दरअसल कालापानी की सजा के दौरान सावरकर ने अंग्रेज सरकार को कई खत लिख कर जेल से रिहाई की मांग की और बदले में ब्रिटिश सरकार के प्रति वफादार रहने की बात कही थी. जेल से 1921 में उनकी सशर्त रिहाई हुई. इसे लेकर लोग सवाल उठा रहे हैं कि उन्हे कैसे स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों के साथ दिखाया जा सकता है?